इंदौर (Indore)। 16 साल पहले आए इंदौर के मास्टर प्लान में अभी तक आवश्यक संशोधन शासन नहीं कर सका है और नए प्लान के भी फिलहाल अते-पते नहीं हैं। दूसरी तरफ आधे-अधूरे संशोधनों के अलावा भूमि विकास नियम में कुछ परिवर्तन किए जाते हैं। मगर उनमें भी तकनीकी समस्या के चलते अभिन्यास मंजूरी में परेशानी आती है। अभी टीडीआर और टीओडी सर्टिफिकेट को अमल में लाने के लिए एफएआर बढ़ाया गया है। खासकर मेट्रो प्रोजेक्ट मेंजो कॉरिडोर निर्धारित किए गए हैं उनमें ऊंची इमारतों के निर्माण पर अधिकतम 7 एफएआर तक दिया जा सकेगा, मगर जब तक ग्राउंड कवरेज, भवन की ऊंचाई, पार्किंग प्रावधानों सहित अन्य आवश्यक संशोधन नहीं किए जाते तब तक इस एफएआर का भी व्यवसायिक रूप से इस्तेमाल संभव ही नहीं होगा। उद्योग के लिए बनाई जाने वाली ऊंची इमारतों में भी अधिक एफएआर का लाभ दिया जाएगा।
इंदौर रियल इस्टेट कारोबार का सबसे बड़ा गढ़ है। बावजूद इसके शासन उसकी उपेक्षा करता रहा है। क्रेडाई द्वारा दिए जाने वाले अधिकांश सुझावों को भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया जाता है। टीडीआर और टीओडी का हल्ला मचाया जाता रहा है। मगर व्यवहारिक रूप से इस पर अमल जब तक नहीं हो सकता तब तक कि मास्टर प्लान में भवन की ऊंचाई, पार्किंग प्रावधान से लेकर एमओएस के मौजूदा नियमों में संशोधन ना किया जाए। अन्यथा टीडीआर के सर्टिफिकेट कागज के टुकड़े ही साबित होंगे। अभी नगरीय विकास और आवास मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन करते हुए भूमि विकास नियम में संशोधन करने का प्रारुप जारी किया है, जिसमें औद्योगिक क्षेत्र में ऊंची इमारतों को भी अधिक एफएआर का लाभ दिया जाएगा, तो उसके साथ मेट्रो कॉरिडोर में बनने वाली ऊंची इमारतों को भी अधिक एफएआर का लाभ मिलेगा।
मेट्रो कॉरिडोर के अलावा सीबीडी घोषित एरिया में भी बढ़े हुए एफएआर का लाभ देंगे इंदौर निगम ने स्मार्ट सिटीमें आने वाले एमओजी लाइन को कुछ समय पूर्व सीबीडी एरिया घोषित किया था। वहीं मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए तीन कॉरिडोर मान्य किए हैं, जिनमें अधिकतम 7 तक एफएआर का लाभ दिया जा सकेगा। अभी इंदौर मास्टर प्लान के मुताबिक अधिकतम डेढ़ से दो एफएआर का लाभ व्यवसायिक और आवासीय ऊंची इमारतों में मिलता है। मगर एमओएस, ऊंचाई, पार्किंग के जटील प्रावधानों के चलते इतना एफएआर भी इस्तेमाल नहीं हो पाता है, जिसके चलते अब बढ़े हुए एफएआर का इस्तेमाल कैसे होगा यह समझ के परे है। सिर्फ 7 एफएआर तक का झुनझुना शासन ने रियल इस्टेट कारोबारियों को पकड़ा दिया है, जिसमें ढाई एफएआर टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए और शेष ढाई एफएआर शासन से खरीदना पड़ेगा। इस प्रारुप पर 15 दिन तक दावे-आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं। क्रेडाई इंदौर के पदाधिकारी संदीप श्रीवास्तव और अतुल झंवर का स्पष्ट कहना है कि जब तक इंदौर के मास्टर प्लान में व्यवहारिक संशोधन शासन द्वारा नहीं किए जाते तब तक इस तरह के प्रावधानों का कोई फायदा रियल इस्टेट को नहीं मिलना है।
बिल्डिंग ऊंचाई, ग्राउंड कवरेज सहित अन्य जरूरी संशोधन अधर में ही
अग्रिबाण ने भी मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव आवास पर्यावरण को लिखित में सुझाव भेज रखे हैं, जिसमें टीडीआर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल व्यवहारिक रूप से किस तरह किया जा सकता है और उसके लिए मास्टर प्लान में क्या आवश्यक संशोधन जरूरी है उसकी जानकारी दी गई। मगर शासन ने अभी तक ना तो पार्किंग नॉर्मस, ना ही एमओएस और ना ही ग्राउंड कवरेज के नियमों में कोई संशोधन किया है और उसके बिना टीडीआर अथवा टीओडी के सर्टिफिकेट का कोई इस्तेमाल ही नहीं हो सकेगा। मैकेनाइज्ड पार्किंग के साथ ऊंचाई में भी छूट मिले और मिश्रित भू-उपयोग के भी स्पष्ट प्रावधान बनाए जाना चाहिए।
टीडीआर के साथ टीओडी सर्टिफिकेट में देना है लाभ
शासन ने अभी जो नोटिफिकेशन जारी किया है उसमें औद्योगिक इमारतों के अलावा मेट्रो कॉरिडोर में बनने वाली इमारतों को टीओडी सर्टिफिकेट का लाभ दिया जाना है। दरअसल, इंदौर में अभी जो मेट्रो प्रोजेक्ट अमल में लाया जा रहा है वह 32 किलोमीटर लम्बाई का है, जिसमें तीन कॉरिडोर टीओडी के लिए चिन्हित किए गए हैं। एयरपोर्ट से सुपर कॉरिडोर होते हुए एमआर-10, सरवटे बस स्टैंड से आईएसबीटी और एयरपोर्ट से रेलवे स्टेशन के कॉरिडोर पर अधिकतम 7 एफएआर का लाभ दिया जाएगा, जिसमें दो एफएआर मास्टर प्लान से और 5 अतिरिक्त मिलेगा।
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