नई दिल्ली । भारतीय रेलवे (Indian Railways) अपने यात्रियों (Passengers) को एसी श्रेणी के डिब्बों में बेडशीट और तकिया के अलावा, एक ब्लैंकेट यानी कंबल (Blanket) भी उपलब्ध कराती है। रेलवे का कहना है कि प्रत्येक यात्रा के बाद बेडशीट और तकिए के कवर धोए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कंबल कब घोया जाता है। दरअसल इस अहम सवाल का जवाब खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnav) ने बुधवार को लोकसभा में दिया।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारतीय रेल यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल महीने में कम से कम एक बार धुलते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बेडरोल किट में यात्रियों को एक अतिरिक्त चादर (bedsheet) दी जाती है, जिसका इस्तेमाल कंबल कवर के रूप में किया जा सकता है। रेल मंत्री ने यह जानकारी कांग्रेस सांसद कुलदीप इंदोरा के सवाल के जवाब में दी। इंदोरा ने पूछा था कि क्या रेलवे कंबल केवल महीने में एक बार धोता है? क्योंकि यात्रियों से स्वच्छता मानकों के अनुसार बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए पैसे लिए जाते हैं।
हल्के और आरामदायक कंबल
रेल मंत्री ने बताया कि “भारतीय रेल द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कंबल हल्के, धोने में आसान और बेहतर इन्सुलेशन प्रदान करने वाले हैं, जिससे यात्रियों को यात्रा के दौरान आरामदायक अनुभव मिलता है।” वैष्णव ने अपने लिखित जवाब में यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए अन्य कदमों का उल्लेख किया।
इनमें शामिल हैं :-
नए और बेहतर गुणवत्ता वाले बिस्तर के लिए बीआईएस (BIS) मानकों के अनुसार लिनेन सेट का प्रावधान।
स्वच्छ बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री का इस्तेमाल।
लिनेन की धुलाई के लिए मानकीकृत मशीनों और केमिकल का प्रयोग।
धुले हुए लिनेन की गुणवत्ता की जांच के लिए ‘व्हाइटो-मीटर’ का इस्तेमाल।
शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई
रेल मंत्री ने बताया कि रेल मंत्रालय ने शिकायतों की निगरानी के लिए जोनल और डिवीजनल मुख्यालयों पर ‘वार रूम’ स्थापित किए हैं। रेलमदद पोर्टल पर दर्ज शिकायतों, जिनमें लिनेन और बेडरोल से जुड़ी शिकायतें भी शामिल हैं, पर त्वरित कार्रवाई की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर लॉजिस्टिक्स का इस्तेमाल करते हुए लिनेन की स्टोरेज, परिवहन, लोडिंग और अनलोडिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया है। इसके साथ ही इको-फ्रेंडली पैकेजिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है।
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