नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने देवघर हवाई अड्डे मामले (Deoghar airport case)में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (BJP MP Nishikant Dubey)और मनोज तिवारी (Manoj Tiwari)के खिलाफ एफआईआर रद्द (quashing of FIR against)करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका पर बुधवार को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने दोनों को नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार को भी कुछ बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। झारखंड हाईकोर्ट ने इन दोनों सांसदों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी थी। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
दोनों सांसदों पर आरोप है कि इन्होंने सितंबर 2022 में देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया। साथ ही एटीसी को निजी विमान को उड़ान भरने की इजाजत देने के लिए धमकी दी और मजबूर किया। हाईकोर्ट ने प्राथमिकी रद्द करते हुए कहा था कि आईपीसी अपराध लागू नहीं होते हैं। क्योंकि एक विशेष अधिनियम, यानी विमान अधिनियम 1934 है। इसके अलावा, यह राय दी गई कि एफआईआर कायम रखने योग्य नहीं है, क्योंकि अधिनियम की धारा 12बी के अनुसार केवल डीजीसीए को शिकायत की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने कहा कि आईपीसी के तहत अपराध, विमान अधिनियम से अलग है। इसमें विमान अधिनियम लागू नहीं होगा। राज्य ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने सामान्य कानून (आईपीसी) पर प्रचलित विशेष कानून (विमान अधिनियम) के सिद्धांत को गलत तरीके से तय किया। आईपीसी प्रावधान विमान अधिनियम, 1934 की धारा 10 और 11 के तहत अपराधों से अलग हैं। जब हवाई अड्डे के जीवन और सुरक्षा को खतरे में डालकर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया गया हो, तो विमान अधिनियम आईपीसी पर हावी नहीं हो सकता।
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