पटना। बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) की चार सीटों पर उपचुनाव के नतीजों (Results of by-elections) ने रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Strategist Prashant Kishore) को सांत्वना दी है। चुनाव से महज एक माह पहले बनी जनसुराज पार्टी (Jansuraj Party) को न केवल 10 फीसदी वोट मिले, बल्कि राजद को उसके दो अभेद्य किलों में बेदम करने में भी इसका बड़ा योगदान रहा। रामगढ़ और बेलागंज में एनडीए की जीत का अंतर और जनसुराज को मिले वोटों का औसत खुद यह कहानी बयां करता है। तीन सीटें इंडिया गठबंधन (India alliance) से छीनकर एनडीए ने चारों सीटों पर कब्जा जमा लिया।
इमामगंज में इसने सशक्त प्रदर्शन किया है। तीसरे नम्बर पर उसे सम्मानजक 37,103 वोट मिले। बेलागंज में जनसुराज उम्मीदवार ने 17285 वोट प्राप्त किए। चुनाव परिणाम के बाद प्रशांत किशोर ने प्रतिक्रिया में भी कहा कि मैं निराश नहीं हूं। इससे मुझे आगे और बेहतर करने की ताकत मिली है। पीके ने इसी 2 अक्टूबर को रैली कर जनसुराज पार्टी की घोषणा की। इसके पहले उन्होंने बिहार की लम्बी पदयात्रा की। जनसुराज अभियान को पार्टी में तब्दील होने के बाद खुद को पार्टी से अलग रखा और सूत्रधार की भूमिका में ही रहे। प्रदेश का नेतृत्व बिल्कुल एक अनजान, गैर राजनीतिक सेवानिवृत्त आईएफएस मनोज भारती को सौंपा।
उपचुनाव के दौरान पहली बार चुनाव में उतरी जनसुराज को तरारी और बेलागंज में उम्मीदवार बदलना पड़ा। तरारी में उसके घोषित प्रत्याशी का नाम ही मतदाता सूची में नहीं था तो बेलागंज में घोषित प्रत्याशी का जगह-जगह विरोध हुआ। फलत दोनों को वापस लेते हुए दो दूसरे उम्मीदवार इस दल ने उतारे। गौर करने वाली यह भी है कि जनसुराज ने उपचुनाव के दौरान जिन क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतारे थे, वहां इस पार्टी या इसके सूत्रधार प्रशांत किशोर का कोई कार्यक्रम अब तक नहीं हुआ है। प्रशांत ने अपनी पदयात्रा को उत्तर बिहार तक ही सीमित रखा था। चंपारण से आरंभ इनकी यात्रा कोसी तक पहुंच चुकी है।
भोजपुर या मगध के क्षेत्र तक इसका पहुंचना बाकी है। वहीं तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज विधानसभा क्षेत्र तथा इनसे सम्बद्ध जिलों गया, कैमूर, भोजपुर में जनसुराज के संगठन को भी आकार लेना बाकी है। पहले चुनाव में इस पार्टी के प्रत्याशियों को मिली हार में इन बातों ने भी निर्णायक भूमिका निभाई। गौर हो कि आकार लेने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा करने वाली पार्टी जनसुराज को अभी राज्यस्तर के अलावा जिलास्तर पर भी संगठन का ढांचा तैयार करना है। बावजूद इन सबके उपचुनाव में कई अहम मुद्दों के साथ उतरने वाली जनसुराज को 70 हजार लोगों ने अपना वोट देकर समर्थन दिया है। उसे हर सीट पर औसतन 17500 वोट मिले हैं।
जनसुराज पार्टी के प्रत्याशियों को मिले वोट
इमामगंज 37103
बेलागंज 17285
रामगढ़ 6513
तरारी 5522
वैसे इस चुनाव ने पीके को एक सबक भी दिया है। उन्हें संगठन मजबूत करना होगा। भीड़ या संवाद की सफलता को परिवर्तन की बयार आंकना सच्चाई से मुंह मोड़ने जैसा होगा। दंभ भरने से जमीनी हकीकत को भांपना ज्यादा बेहतर होगा। उन्हें यह भी पता चल गया होगा कि दूसरों के लिए जीत की रणनीति बनाना और खुद की जीत सुनिश्चित करने में बुनियादी फर्क है। उनके सामने पहाड़ जैसी चुनौती है।
परिवारवाद का नारा कारगार
प्रशांत किशोर का परिवारवाद के खिलाफ दिया नारा कारगर रहा। रामगढ़ में राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र पराजित हुए। जनसुराज को यहां 6513 वोट मिले। यहां भाजपा 1362 वोटों से जीती। बेलागंज सीट गंवानी पड़ी है। सांसद बने सुरेन्द्र प्रसाद यादव के पुत्र को हार झेलनी पड़ी है। मुस्लिम बहुल इस सीट पर जनसुराज के उम्मीदवार मो. अमजद को 17 हजार वोट मिले। जदयू को 21 हजार वोटों से जीत मिली।
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