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    देश में मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर सबसे आगे…बोले नितिन गडकरी

  • November 22, 2024

    भोपाल। देश की पुरानी संरचना में मप्र और महाराष्ट्र (MP and Maharashtra) एक साथ हुआ करते थे। सीमा विभाजन के साथ यह अलग जरूर हो गए, लेकिन इनके आपसी संबंध आज भी बरकरार हैं और गहरे भी। कृषि से कल्याण और विकास की भावना के साथ अब यह दोनों प्रदेश एक और एक, ग्यारह होकर साथ चलेंगे। मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। कृषि आधारित इस कार्यक्रम इंडियाज प्रीमियर एग्रो समिट का यह 15वां संस्करण था। कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय मंत्री डॉ नितिन गडकरी ने अपने उद्बोधन के दौरान मप्र की कृषि व्यवस्था को सबसे आगे बताया। उन्होंने कहा कि मप्र की कृषि विकास दर देश भर में सबसे आगे है।

    मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जब मंच सम्हाला तो उन्होंने सबसे पहले केंद्रीय मंत्री डॉ नितिन गडकरी के प्रोत्साहन उद्बोधन के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि गडकरी की यह बातें प्रेरणादायक भी हैं और अधिक मेहनत करने की तरफ अग्रसर करने वाली भी हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने खुद को महाराष्ट्र की धरती पर आने को अपने घर आने से निरूपित किया। उन्होंने कहा कि बाजीराव से लेकर अहिल्या बाई और सिंधिया तक के संबंध इस प्रदेश से रहे हैं। इन सभी महानुभावों का मप्र में गहरा और अविस्मरणीय योगदान है। मप्र स्थापना से पहले मध्य प्रांत की राजधानी होने के नाते हम सभी इस प्रदेश की जनता रहे हैं। इसके चलते नागपुर और महाराष्ट्र हमारा अपना घर ही है।


    नागपुर में हुए इस एग्रोविजन विजन कार्यक्रम को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विकास का नया अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की तरह हमारे मप्र में भी गौवंश के संरक्षण के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं और उन पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जिन्हें गौरा गौरी कहा जाता है, मप्र में उन्हें बछड़ा बछड़ी कहते हैं। यह संवेदनशील गौमाता जन्म देने वाली माता के समान ही संवेदना रखती है। वह हमारी हर बात सुनती और समझती है, बस उनको शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाती है।

    डॉ मोहन यादव ने कहा कि घर घर दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के हम प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए लोगों को दूध देने वाली गाय सौंपकर उनके लालन पालन की जिम्मेदारी सौंप रहे हैं। दूध देना बंद करने के बाद इनको व्यवस्थित घर देने के लिए प्रदेश में बड़ी गौशालाएं बनाई जा रही हैं। इसी कड़ी में राजधानी भोपाल में करीब 15 हजार की क्षमता वाली गौशाला का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा गौकास्ट आदि के व्यवस्थित उपयोग के लिए बड़े संयंत्र लगाने की योजनाएं भी शुरू की गई हैं।

    मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने महाराष्ट्र की कृषि आधारित योजनाओं की तारीफ की और इनसे बहुत कुछ सीखने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रोजेक्ट का परीक्षण और इनसे प्रशिक्षण लेने के लिए वे जल्दी ही मप्र से मंत्रियों का एक दल महाराष्ट्र भेजेंगे। डॉ यादव ने कहा कि कृषि आधारित योजनाओं से घर घर की आमदनी के जो प्रयास यहां किए जा रहे हैं, वह प्रशंसनीय हैं। उत्पादन बढ़ाने के साथ इनके लिए योग्य बाजार की कल्पना और प्रयास भी रेखांकित किए जाने जैसे हैं।

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