चंडीगढ़ । पंजाब की राजनीति में (In Punjab politics) सिद्धू दंपती (Siddhu Couple) फिर से सक्रिय हो गई है (Has become Active Again) । नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू, जिन्होंने अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से जूझते हुए ब्रेस्ट कैंसर को हराया, अब फिर से राजनीति के मैदान में उतर चुके हैं। सिद्धू दंपती, जो लंबे समय से राजनीति और अमृतसर शहर से दूर थे, अब अपनी पत्नी की कैंसर जर्नी को साझा करने के लिए प्रेस ब्रीफ करने जा रहे हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू, जो अब कैंसर मुक्त हैं, “नोनी की कैंसर जर्नी” पर एक प्रेस ब्रीफ करने वाले हैं। इस प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से वे अपनी व्यक्तिगत और भावनात्मक यात्रा को साझा करेंगे, जिसमें उन्होंने न सिर्फ अपनी पत्नी का ख्याल रखा, बल्कि खुद भी असीम संघर्ष और उम्मीदों के साथ उस कठिन समय को पार किया। इस जर्नी को सामने लाने का उद्देश्य लोगों को यह संदेश देना है कि कोई भी कठिनाई असंभव नहीं होती और हर मुश्किल के बाद एक नई शुरुआत हो सकती है।
2022 में विधानसभा चुनावों में हार के बाद सिद्धू और उनकी पत्नी राजनीति से दूरी बनाए हुए थे, लेकिन अब जब नवजोत कौर सिद्धू ने कैंसर से जंग जीत ली है, तो सिद्धू दंपती ने एक बार फिर से राजनीतिक गतिविधियों में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी है। अमृतसर पूर्वी क्षेत्र में उनके लगातार बैठकें और संपर्क की खबरें आ रही हैं। यह क्षेत्र अब कांग्रेस पार्टी के लिए एक चुनौतीपूर्ण मैदान बन चुका है, जहां सिद्धू, दिनेश बस्सी और जसबीर सिंह डिंपा के बीच तकरार की खबरें सामने आ रही हैं।
अमृतसर पूर्वी हलके में कांग्रेस पार्टी में तीन प्रमुख दावेदार उभर कर सामने आ रहे हैं : नवजोत सिंह सिद्धू, दिनेश बस्सी, और जसबीर सिंह डिंपा। दिनेश बस्सी, जो पिछले 15 वर्षों से इस हलके में कार्यरत हैं, सिद्धू के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं। वहीं, जसबीर सिंह डिंपा, जो इस हलके के इंचार्ज हैं, सिद्धू के खिलाफ चुनावी मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू ने 2004 में पहली बार राजनीति में कदम रखा था, और बीजेपी के टिकट पर अमृतसर से सांसद बने थे। 2017 में उन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस जॉइन की और अमृतसर के हलका पूर्वी से विधायक का चुनाव जीता। अब एक बार फिर से सिद्धू दंपती की सक्रियता पंजाब की राजनीति में नया मोड़ लाने की उम्मीद जगा रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सिद्धू दंपती की राजनीति में वापसी कांग्रेस पार्टी की दिशा और दशा को कैसे प्रभावित करती है। क्या सिद्धू, जो अपनी पत्नी के संघर्ष के साथ अब एक नई ऊर्जा के साथ राजनीति में लौटे हैं, अपनी पार्टी को फिर से अपने साथ जोड़ पाएंगे? या फिर इस बार पार्टी में नए चेहरे उनकी राह रोकेंगे?
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