मुंबई: क्या 29 साल बाद शरद पवार के पास महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी आ सकती है? मतदान के बाद बन रहे सियासी समीकरण को देखते हुए मुंबई से लेकर दिल्ली तक इस बात की चर्चा हो रही है. कहा जा रहा है कि चुनाव में भले आंकड़े कुछ भी हो, लेकिन सत्ता की चाबी पवार के हाथों में ही होगी.
महाराष्ट्र की 288 सीटों पर 23 नवंबर को नतीजे आएंगे. राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है. महाराष्ट्र में 23 नवंबर को मतों की गिनती होगी और 26 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. 3 दिन के भीतर अगर सरकार गठन का दावा पेश नहीं किया जाएगा तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकती है.
राष्ट्रपति शासन लागू होने की स्थिति में गेंद केंद्र के पाले में आ जाएगी. कहा जा रहा है कि ऐसी ही स्थिति से बचने के लिए पार्टियां जल्द से जल्द सरकार गठन की कवायद करेगी. पवार इसका फायदा उठा सकते हैं. 2019 में राष्ट्रपति शासन लागू होने की वजह से पवार महाविकास अघाड़ी की सरकार में वित्त, गृह जैसे कई अहम विभाग अपने पास रख लिए.
महाराष्ट्र को लेकर जितने भी एग्जिट पोल आए हैं, उन सभी में दोनों पवार को करीब 70 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. विधानसभा की करीब 42 सीटों पर अजित पवार और शरद पवार के उम्मीदवार के बीच ही मुकाबला है. 2024 के लोकसभा चुनाव में 38 विधानसभा सीटों पर शरद पवार और 6 सीटों पर अजित पवार को बढ़त मिली थी. दोनों के उलट-पलट की गुंजाइश भी है.
अजित पवार ने पूरे चुनाव में खुलकर उन मुद्दों का विरोध किया है, जिससे बीजेपी चुनाव में ध्रुवीकरण की कवायद कर रही थी. जूनियर पवार इस वजह से बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस के निशाने पर रहे हैं. इसी पावर की वजह से कहा जा रहा है कि इस बार सीएम की कुर्सी पवार परिवार के पास जा सकती है.
शरद पवार महाराष्ट्र की सियासत में न तो किसी से ज्यादा दोस्ती रखते हैं और न ही दुश्मनी. 2014 में बीजेपी को समर्थन देने वाले पवार 2019 में उद्धव के साथ चले गए. उनके पुराने सहयोगी और अजित गुट के उम्मीदवार नवाब मलिक ने हाल ही में दावा किया था कि शरद पवार किसी तरफ जा सकते हैं.
दिलचस्प बात है कि इस बार न तो महाविकास अघाड़ी और न ही महायुति ने सीएम फेस घोषित कर रखा है. ऐसे में दोनों तरफ सीएम पद का स्पेस बचा है. 84 साल के शरद पवार ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक रखी थी. उन्होंने पूरे चुनाव में करीब 55 रैलियों को संबोधित किया. पवार अपने हर रैली में सिर्फ महाराष्ट्र को नई दिशा में ले जाने की बात करते रहे.
इस्लामपुर की एक रैली में सीनियर पवार ने जयंत पाटिल को लेकर बड़ी टिप्पणी भी की थी. शरद पवार ने इस रैली में कहा था कि जयंत को अब पूरे राज्य की जिम्मेदारी संभालनी है, इसलिए अभी से तैयार रहें. सीनियर पवार के इस बयान के बाद से ही महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में सवाल उठ रहा है कि आखिर उनके मन में क्या चल रहा है?
1995 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद शरद पवार को कभी भी मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिली. महाराष्ट्र की सियासत में इसके बाद वे करीब 4 बार किंगमेकर की भूमिका में जरूर रहे, लेकिन सियासी समीकरणों की वजह से वे सीएम की कुर्सी से दूर ही रहे. पवार की पार्टी से छगन भुजबल और अजित पवार जरूर कई सरकारों में उपमुख्यमंत्री रहे हैं. अजित अभी भी उपमुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं.
महाविकास अघाड़ी के बैनर तले विधानसभा की 89 सीटों पर शरद पवार चुनाव लड़ रहे हैं. शरद का 42 सीटों पर मुकाबला अजित गुट के उम्मीदवारों से है. बाकी बचे 47 सीटों पर शरद के उम्मीदवारों का सीधा मुकाबला शिवसेना (शिंदे) और बीजेपी प्रत्याशियों से है. अजित पवार इस चुनाव में करीब 60 सीटों पर लड़ रहे हैं. शरद के अलावा अजित गुट का अधिकांश सीटों पर कांग्रेस से मुकाबला है.
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