वॉशिंगटन । अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने अडानी समूह (Adani Group)के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी(Chairman Gautam Adani) पर अमेरिकी निवेशकों (US Investors)को धोखा देने और सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया है। इस मामले में अडानी के भतीजे सागर अडानी, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी, और एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के कार्यकारी सिरिल काबेनेस के खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं।
SEC ने बुधवार को इन व्यक्तियों पर सिक्योरिटीज और वायर धोखाधड़ी करने की साजिश रचने और सब्सटैंटिव सिक्योरिटीज धोखाधड़ी का आरोप लगाया। इन आरोपों का संबंध एक अरबों डॉलर की योजना से है। आरोप है कि अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं से गलत और भ्रामक बयान देकर धन जुटाया गया। SEC ने आरोप लगाया कि यह रिश्वत देने की योजना अडानी ग्रीन और एज़्योर पावर को भारत सरकार द्वारा दिए गए अरबों डॉलर के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का लाभ उठाने के लिए बनाई गई थी।
SEC की शिकायत में कहा गया कि ये लोग फेडरल सिक्योरिटीज कानूनों के एंटी-फ्रॉड प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे थे। SEC के बयान के अनुसार इस योजना के दौरान अडानी ग्रीन ने अमेरिकी निवेशकों से 175 मिलियन डॉलर (करीब 1,450 करोड़ रुपये) से अधिक जुटाए। एज़्योर पावर का शेयर न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड हो रहा था।
न्यूयॉर्क के पूर्वी जिला अटॉर्नी ऑफिस ने गौतम अडानी, सागर अडानी, काबेनेस और अडानी ग्रीन और एज़्योर पावर से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक आरोप भी दायर किए हैं। इन आरोपों में विदेशी भ्रष्टाचार प्रथाएं अधिनियम (FCPA) का उल्लंघन करते हुए रिश्वत देने की साजिश शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि 2020 और 2024 के बीच अडानी और उनके सहयोगियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (करीब 20.75 अरब रुपये) से अधिक की रिश्वत दी। रिश्वत देने का मकसद सौर ऊर्जा परियोजनाओं को हासिल करना था। इससे अगले 20 वर्षों में 2 अरब डॉलर से अधिक का लाभ होने की संभावना है।
अडानी और उनके सहयोगियों पर निवेशकों को धोखा देने के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा, आरोप है कि उन्होंने जांच में रुकावट डालने की कोशिश की। FBI के सहायक निदेशक जेम्स डेनन्ही ने कहा कि आरोपियों ने न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है। आपको बता दें कि यह मामला अब अमेरिका में एक बड़े कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला बन गया है। इसमें भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने और अमेरिकी निवेशकों को धोखा देने के आरोप हैं।
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