जबलपुर। शहर के इंफिनिटी हॉर्ट इंस्टिट्यूट में 60 साल के मरीज को कैप्सूल पेसमेकर इम्प्लांट कर उसकी जान बचाई है। मध्य भारत का यह पहला कैप्सूल पेजमेकर इम्प्लांट है जो यहां पर वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित अग्रवाल व उनकी टीम ने इस पद्धति को अपनाते हुए सफल इलाज किया है। पत्रकारों को जानकारी देते हुए हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित अग्रवाल (एमडी डीएम कार्डियोलॉजिस्ट)ने बताया कि कैसे उन्होंने और उनकी टीम ने 60 वर्षीय मरीज का किया इलाज करते हुए मरीज को एक नया जीवन मिला है।
इनफिनिटी हार्ट इंस्टीट्यूट, नेपियर टाउन में चिकित्सा विशेषज्ञों ने मध्यभारत के पहले कैप्सूल पेसमेकर इंप्लांट में सफलता पाई है। डॉ. अंकित अग्रवाल ने बताया कि कैप्सूल पेसमेकर से ट्रीटमेंट का यह भारत में पांचवा और मध्यभारत में पहला सफल प्रयास है। ये अपने आप में एक बेहद क्रांतिकारी तकनीक है, जिसमें एक कैप्सूल को ही सीधे मरीज के हृदय में बैठाया जाता है। इस पेसमेकर को सिंगापुर से इंपोर्ट किया गया। इसे हाल ही में मल्टीनेशनल कंपनी एबोट ने लॉन्च किया है। एक 60 वर्षीय पेशेंट, जिन्हें पल्स से रिलेटेड समस्या थी, उन्हें इस तकनीक से ट्रीट किया गया। डॉ. अंकित अग्रवाल ने बताया कि इस प्रक्रिया को सफलता पूर्वक सम्पन्न करने में इनफिनिटी हार्ट इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट्स व मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली से आए वरिष्ठ चिकित्सक पद्मश्री डॉ. बलबीर सिंह का विशेष सहयोग रहा।
ना कोई लीड, न ही बैटरी, इसलिए बेहतर
डॉ. अंकित अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में जो पेसमेकर इस्तेमाल किए जा रहे हैं, उनमें लीड की सहायता से मरीज के हृदय में पेसमेकर बैठाया जाता है, जिसका कनेक्शन बैट्री से होता है। इसके चलते भविष्य में इन्फेक्शन, लीड निकलना जैसी समस्याएं आती हैं। इस नई और बेहद एडवांस टेक्नोलॉजी के पेसमेकर में न बैटरी और न ही लीड होती है, ऐसे में यह एक बेहतर विकल्प है। बेहद एडवांस टेक्नोलॉजी के कारण यह पद्धति सफल होती जा रही है। इसमें मरीज को कहीं पर भी शारीरिक किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं आती और वह हल्का परहेज रखते हुए आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत करता है।
अपग्रेड भी कर सकते हैं
डॉ. अंकित अग्रवाल ने बताया कि एक लीड वाले पेसमेकर की बैट्री 6 से 7 वर्ष तक चलती है, वहीं एडवांस्ड कैप्सूल पेसमेकर 24 वर्षों तक सर्विस दे सकता है, खास बात ये है कि इसे अपग्रेड भी किया जा सकता है और इसमें कोई ज्यादा समय नहीं लगता ना ही मरीज को किसी तरह की कोई परेशानी होती है।
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