नई दिल्ली। मणिपुर (Manipur) में हुई हालिया हिंसा के बाद हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। न सिर्फ विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता बल्कि वहां के कई नागरिक संगठनों ने हिंसा पर लगाम लगाने और कुकी उग्रवादियों (Kuki militants) के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की है। इस बीच, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने मणिपुर में बिगड़ते हालात को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को पत्र लिखा है। खरगे ने राष्ट्रपति मुर्मू से मणिपुर में तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है। साथ ही कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि राज्य के लोग सम्मान के साथ अपने घरों में शांति से रहें।
कांग्रेस प्रमुख द्वारा राष्ट्रपति मुर्मू को लिखे गए दो पन्ने के पत्र में कहा गया है कि मणिपुर सरकार और केंद्र पिछले 18 महीनों में मणिपुर में कानून व्यवस्था और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में फेल साबित हुई है। पत्र में उन्होंने कहा कि राज्य में हिंसा के कारण 300 से अधिक लोगों की जान चली गई है, इनमें महिलाएं, बच्चे भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वहां बिगड़ती कानून-व्यवस्था के कारण करीबन एक लाख लोग आंतरिक विस्थापन का शिकार हुए हैं। वे बेघर हो गए हैं और विभिन्न राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं।
पत्र में खरगे ने लिखा है, ‘मैं मानता हूं कि माननीय महोदया, भारत गणराज्य के राष्ट्रपति और हमारे संविधान के संरक्षक के रूप में यह आपके लिए संवैधानिक रूप से अनिवार्य हो गया है कि आप सांवधानिक औचित्य को बनाए रखें। साथ ही मणिपुर में हमारे अपने नागरिकों के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करें।’ उन्होंने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि आपके कार्यालय के हस्तक्षेप के माध्यम से, मणिपुर के लोग फिर से सम्मान के साथ अपने घरों में शांति से रहेंगे।
इस दौरान उन्होंने राज्य में बढ़ रही महंगाई का भी जिक्र किया और कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था और खुदरा मुद्रास्फीति 10 फीसदी तक बढ़ गई है। बेरोजगारी का जिक्र करते हुए कहा कि इसने मणिपुर के लोगों के जीवन को बेहद कठिन बना दिया है। लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ा है। खरगे ने राज्य और केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि 18 महीनों में मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में केंद्र सरकार और मणिपुर की राज्य सरकार पूरी तरह विफल रही है।अब लोगों का विश्वास दोनों सरकारों पर से उठ गया है । सरकारों से कोई मदद न मिलने के कारण वे 540 दिनों से ज़्यादा समय से स्थानीय लोग खुद को पूरी तरह अलग-थलग और असहाय पा रहे हैं।
वास्तव में, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री पर अपने जीवन और संपत्ति की रक्षा करने के लिए अपना विश्वास खो दिया है। आपको पता होगा कि मई 2023 से मणिपुर के लोगों की मांग के बावजूद प्रधानमंत्री ने राज्य का दौरा नहीं किया है। खरगे ने कहा कि वह स्वयं और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पिछले 18 महीनों में तीन बार मणिपुर में आ चुके हैं। प्रधानमंत्री का मणिपुर का दौरा करने से इनकार करना किसी की समझ से परे है। इसलिए वह महामहिम से हस्तक्षेप की अपील करते है।
मणिपुर में बीते साल मई से जातीय हिंसा चल रही है, जिसमें अब तक 300 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुई हैं। हिंसा राज्य में लगातार जारी है, लेकिन इस माह की शुरुआत में जिरीबाम में तीन महिलाओं और उनके तीन बच्चों की हत्या के बाद से बवाल बढ़ गया है। जिरीबाम की घटना के विरोध में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और प्रदर्शनकारियों ने हाल के दिनों में कई विधायकों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की है। जिरीबाम में पुलिस की गोली से एक प्रदर्शनकारी की मौत का भी आरोप है। इससे भी तनाव बढ़ गया है।
हिंसा को देखते हुए असम ने मणिपुर से लगती अपनी सीमा को सील कर दिया है। सीमा पर पुलिस तैनात कर दी गई है ताकि असामाजिक तत्व सीमा पार कर असम में न दाखिल हो सकें। ताजा हिंसा के परिणामस्वरूप सीएम एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार भारी दबाव में है और बीरेन सिंह को पद से हटाने की मांग जोर पकड़ रही है। एनडीए की सहयोगी एनपीपी ने भी मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और नेतृत्व परिवर्तन करने की मांग की है।
मैतई नागरिक संगठन ने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है कि सरकार प्रस्तावों की समीक्षा करे और अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो वे आंदोलन तेज करेंगे और मणिपुर में सभी राज्य और केंद्रीय कार्यालयों को बंद कराया जाएगा। मणिपुर में बिगड़ते हालात को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में पांच हजार अतिरिक्त केंद्रीय बल के जवान भेजने का फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी लगातार नई दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें कर मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं।
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