नई दिल्ली: सरकार 2029 तक ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Country One Election) के लक्ष्य को साकार करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रही है. खबरों के मुताबिक, 25 नवंबर से शुरू हो रहे संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र (Winter Session) में इस संबंध में एक विधेयक (Bill) पेश किया जा सकता है. विधेयक पेश करने से पहले, सरकार (Goverment) ने विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस (Congress) के साथ आम सहमति बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन (Constitutional Amendment) की आवश्यकता है, जिसके लिए विपक्ष और गैर-एनडीए दलों का सहयोग जरूरी होगा. सूत्रों के अनुसार, विधेयक रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है. विधेयकों पर संसद में बहस शुरू होगी, लेकिन व्यापक सहमति बनने तक मतदान को टालने की संभावना है.
इस विचार का मूल उद्देश्य संसाधनों की बचत, बेहतर प्रशासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधार करना है. बार-बार चुनाव कराने से न केवल आर्थिक बोझ बढ़ता है, बल्कि शासन में बाधाएं भी उत्पन्न होती हैं.
इम मामले पर संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास के लिए हर पांच साल में एक साथ चुनाव की जरूरत पर जोर दिया है. इसी विचार को आगे बढ़ाने के लिए कोविंद पैनल का गठन किया गया था. पैनल की रिपोर्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है, और अब संबंधित विधेयक संसद में पेश करने की तैयारी हो रही है.
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि यह समझाना जरूरी है कि एक साथ चुनाव क्यों आवश्यक हैं. पहले प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन कर नया अनुच्छेद 82ए जोड़ा जाएगा. कोविंद पैनल का कहना है कि इस संशोधन के लिए राज्यों की स्वीकृति आवश्यक नहीं है.
स्थानीय निकाय चुनावों को आम चुनावों के साथ जोड़ने के लिए अनुच्छेद 325 में संशोधन कर नया अनुच्छेद 324ए जोड़ा जाएगा. इस संशोधन के लिए राज्यों द्वारा अनुसमर्थन अनिवार्य होगा.
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