उज्जैन। बंदियों को नशे की कैद से छुटकारा दिलाने के लिए केंद्रीय जेल भैरवगढ़ उज्जैन सहित प्रदेश की 11 जेल में नशा मुक्ति केंद्र बनाए जाएँगे। इस सिलसिले में भारत सरकार ने प्रत्येक केंद्र के लिए 20 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं। जेल अधिकारियों के मुताबिक अपराधों की बड़ी वजह नशा होता है, इसलिए कैदियों को नशे से दूर करने की कोशिश की जा रही है, जिससे वह जेल से बाहर आने पर फिर नशे की गिरफ्त में न आने पाएं। इन नशा मुक्ति केंद्रों में मुख्य रूप से काउंसलिंग के माध्यम से बंदियों को समझाकर नशे से छुटकारा दिलाया जाएगा। सामाजिक न्याय विभाग जेलों में यह केंद्र बनाएगा। केंद्रीय जेल भैरवगढ़ के अधीक्षक मनोज साहू के अनुसार राशि, संसाधन और कार्ययोजना मिलते ही सेंटर प्रारंभ किया जाएगा।
इतना होगा स्टाफ
हर एक केंद्र में एक परियोजना समन्वयक, एक मनोचिकित्सक या क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, काउंसलर और अकाउंटेंट के पद होंगे। इसका प्रस्ताव लगभग एक वर्ष से शासन के पास लंबित था, पर एक जनवरी 2025 से सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम लागू होने के बाद यह केंद्र भी जल्दी प्रारंभ करने की तैयारी है। केंद्र के लिए मानव संसाधन की भर्ती सामाजिक न्याय विभाग कर रहा है।
निजी संस्थाएं भी करती हैं उपचार
नशा मुक्ति के लिए विभिन्न एनजीओ के साथ-साथ कई और निजी संस्थाएं भी उपचार प्रदान करती हैं। संस्थाओं के समन्वयक जिला प्रशासन और पुलिस से समन्वय कर नशा मुक्ति की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए शुल्क भी लिया जाता है।
मनोचिकित्सक रहेंगे तैनात
इन केंद्रों में सबसे मुख्य मनोचिकित्सकों की उपस्थित रहेगी। दरअसल, नशे की लत वाले बंदियों को जेल आने के बाद नशे की चीजें नहीं मिलतीं। नशा छूटने की वजह से उन्हें कई मनोवैज्ञानिक समस्याएं होने लगती हैं। इन्हें विड्राल सिम्पटम्स कहा जाता है। इसमें अनिद्रा, चिंता, भूख नहीं लगना और सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं। मनोचिकित्सक ऐसे बंदियों को उपचार देंगे।
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