नई दिल्ली । सांपों (Snake) के राजा यानि की किंग कोबरा (King Cobra) की वर्षों पुरानी बादशाहत अब खत्म हो गई है। एक नई स्टडी में पता चला है कि दुनिया का सबसे विषैला सांप यानि किंग कोबरा अपनी जैसी एक मात्र प्रजाति नहीं है बल्कि इसी जैसी चार अलग-अलग प्रजातियां भी हैं। कर्नाटक के अगुम्बे में स्थित कलिंगा सेंटर फॉर रेनफॉरेस्ट इकोलॉजी (Kalinga Centre for Rainforest Ecology) के शोधकर्ताओं ने अपनी लगातार 12 सालों की मेहनत के बाद इस बात का पता लगाया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक खोजी गई नई प्रजातियों में से एक दक्षिण-पश्चिम भारत में पाई जाती है तो वहीं दूसरी पूर्वी पाकिस्तान, अंडमान के कुछ इलाकों, इंडो-बर्मा, इंडो-चीन और थाईलैंड के जंगलों में पाई जाती है। वहीं तीसरी प्रजाति मलय प्रायद्वीप, ग्रेटर सुंडा द्वीप में पाई जाती है। जबकि एक और प्रजाति उत्तरी फिलीपींस के लुजोन में निवास करती है।
स्टडी टीम का नेतृत्व करने वाली पी गौरी शंकर ने बताया कि हमारी यह खोज 2012 से शुरू हुई थी जो अब जाकर अपने एक निश्चित पडाव पर पहुंची है। इस खोज के दौरान हमने कर्नाटक, तमिलनाडु, अंडमान द्वीप समूह , गोवा, मिजोरम और उत्तराखंड में सांपों के डीएनए सैंपल इकट्ठे किए, जो नई प्रजाति मिली उसके फोटो ग्राफ लिए और उनके बारे में जानकारी इकट्ठा की और पता लगाया कि उनके स्किन कलर का पैटर्न कैसा है या फिर उनके कितने बैंड हैं।
गौरी ने बताया कि इसी खोज के दौरान हमें पश्चिमी घाट पर एक प्रजाति (ओफियोफैगस कलिंगा) मिला जो सांपों को भी खाता है, इसमें 40 से भी कम बैंड मिले। उत्तरी भारत में जहां हमें ओफियोफैगस हन्ना मिला जिसके 50 से 70 बैंड हैं। सुंडा द्वीप पर हमें ओफियोफैगस बुंगारस मिला जिसके 70 से अधिक बैंड हैं। इसी तरफ हमें फिलीपींस के लुजोन में मिलने वाले ओफियोफैगस साल्वाटाना में हमें एक भी बैंड नहीं मिला।
गौरी ने बताया कि कई प्रजातियों के बारे में कई सिद्धांत पहले भी प्रस्तावित किए गए थे लेकिन इस स्टडी के दौरान कोई भी साबित नहीं किया जा सका है। उन्होंने बताया कि इस स्टडी के आधार पर हम कह सकते हैं कि सांपों का व्यापक वितरण हिमालय की तराई, प्रायदीपीय भारत के पश्चिमी और पूर्वी घाट, पूर्वोत्तर भारत जैसे उष्णकटिबंधिय मं मिलता है। हालांकि कई जगहों पर यह उपोष्ण कटिबंधिय या समशीतोष्ण क्षेत्रों में भी मिल जाते हैं। इन सांपों की प्रजाति को सबसे बड़ा खतरा इनके आवासों के उजाडे़ जाने का है। वर्तमान में रेड डाटा सूची में इन्हें असुरक्षित श्रेणी में रखा गया है।
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