नई दिल्ली । दिल्ली सरकार (Delhi Government)में मंत्री कैलाश गहलोत(Minister Kailash Gehlot) के इस्तीफे से AAP ने रविवार को पार्टी का चर्चित जाट चेहरा(The popular Jat face of the party) खो दिया। माना जा रहा है कि कैलाश गहलोत के इस्तीफे से फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह का मानदेय देने की आप सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रभावित हो सकती है। कैलाश गहलोत साल 2015 से पश्चिमी दिल्ली में जाट बहुल नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
बाहरी दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में असर
आप सूत्रों ने बताया कि कैलाश गहलोत के इस्तीफे का असर बाहरी दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में होना निश्चित है, जहां पर इस समुदाय की अच्छी खासी मौजूदगी है। ऐसे में फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कैलाश गहलोत के इस्तीफे का आम आदमी पार्टी पर भी तगड़ा असर पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना पर असर
अधिकारियों ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा 2024-25 के बजट में घोषित ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ का मसौदा तैयार कर रहा है। चुनाव से पहले इसे लागू करने की योजना पर अब असर पड़ेगा क्योंकि कैलाश गहलोत इसका मसौदा तैयार करने से जुड़े थे। वह परिवहन, गृह, आईटी, प्रशासनिक सुधार और महिला एवं बाल विकास जैसे विभाग संभाल रहे थे।
अलग-थलग महसूस कर रहे थे गहलोत
सूत्रों ने कहा कि कैलाश गहलोत का इस्तीफा हतप्रभ करने वाला नहीं है लेकिन यह पूरी तरह अप्रत्याशित भी नहीं है, क्योंकि वह आम आदमी पार्टी में खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे थे। पिछले साल उनसे राजस्व और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग वापस लेकर आतिशी को सौंप दिया गया था। इस साल स्वतंत्रता दिवस पर तब जेल में बंद मुख्यमंत्री की ओर से तिरंगा फहराने के लिए एक मंत्री को नामित करने का फैसला करने के दौरान उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।
आतिशी के चयन को लेकर भी नाराजगी
सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल के पक्ष में फैसले से कैलाश गहलोत ने अंततः दिल्ली सरकार के समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जबकि केजरीवाल चाहते थे कि आतिशी ऐसा करें। सूत्रों ने दावा किया कि केजरीवाल ने दोबारा कैलाश गहलोत को तब दरकिनार कर दिया जब मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद आतिशी को अपना उत्तराधिकारी चुना। इससे भी कैलाश गहलोत नाराज हो गए थे।
एलजी ऑफिस से भी अच्छे संबंध
सूत्रों ने बताया कि गहलोत के दिल्ली सरकार के नौकरशाहों के साथ-साथ उप राज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय से भी अच्छे संबंध हैं। वहीं आप सूत्रों का दावा है कि इस बार विधानसभा चुनाव में नजफगढ़ से गहलोत का टिकट भी तय नहीं था।
बागी तेवर भी खतरनाक
इस्तीफे के साथ ही कैलाश गहलोत ने बागी तेवर अपना लिए हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को लिखे अपने इस्तीफे में कई मुद्दे उठाए हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री के पूर्व आधिकारिक आवास से जुड़ा विवाद, दिल्ली सरकार का केंद्र के साथ टकराव और यमुना की सफाई में विफलता शामिल है। दिल्ली भाजपा नेताओं ने कैलाश गहलोत के इस्तीफे का स्वागत किया है। इससे इस बात की चर्चा मजबूत हो गई कि वह विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
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