जबलपुर। एक के बाद बेहद अपने अहम संस्थान गंवाने के बाद अब जबलपुर की एक और सौगात छीनी जा रही है,लेकिन संस्कारधानी के यशस्वी जनप्रतिनिधि ऐसे खामोश हैं,जैसे कुछ हुआ ही न हो या ये कोई बहुत महत्वपूर्ण बात नहीं है। ताजा मामला वेटरनरी विश्वविद्यालय के विखंडन से जुड़ा हुआ है। तय किया गया है कि डेयरी साइंस एण्ड फूड टेक्नोलॉजी कॉलेज को जबलपुर से विस्थापित कर उज्जैन ले जाया जाएगा। खबर है कि बैठकों में चर्चाओं के बाद अब इस आशय का प्रस्ताव कागजों पर भी उतर आया है,लेकिन खुद को जबलपुर का कर्णधार कहने वाले किसी चेहरे पर शिकन नहीं है।
षडयंत्र को कैसे दिया जा रहा अंजाम
बीते कुछ महीनों में ये मामला धीरे-धीरे पक रहा था,लेकिन भोपाल में हुई हाल ही की बैठकों में तय कर लिया गया कि जबलपुर के डेयरी साइंस एण्ड फूड टेक्नोलॉजी कॉलेज नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के तहत लाकर इसे उज्जैन शिफ्ट किया जाए। इस षडयंत्र की शुरुआत में ही विरोध होना था,लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो भोपाल में बैठे अफसरों-नेताओं के लिए राह आसान हो गयी। सूत्रों का कहना है कि वेटरनरी विवि प्रबंधन की ओर से डेयरी साइंस एण्ड फूड टेक्नोलॉजी कॉलेज को उज्जैन ले जाए जाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है और आने वाली जनवरी तक जबलपुर को ये जख्म दे दिया जाएगा।
अधिनियम को भी किया इग्नोर
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने प्रमुख सचिव, पशुपालन विभाग को पत्र लिखकर आगाह किया था कि यदि ये प्रस्ताव अंजाम तक गया तो जबलपुर में तीव्र विरोध होगा। मंच के पीजी नाजपांडे के अनुसार, विभाग को पत्र के माध्यम से ये भी बताया गया कि वेटरनरी यूनिवर्सिटी के अधिनियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पशुचिकित्सा, मत्स्य पालन तथा संबंधित विषयों पर शैक्षणिक कार्य इसी विश्वविद्यालय में होंगे और डेयरी साइंस इसी दर्जे का सब्जेक्ट है इसलिए विवि से कॉलेज को अलग नहीं किया जा सकता। हालाकि मंच ने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी जाएगी।
शहर के मसीहाओं को क्या हुआ
जिन्हें बार-बार वोट देकर जनता नेता के रूप में चुन रही है, वे इस मामले में गहन चुप्पी साधे हुये हैं। बहुत छोटे-छोटे मामलों में पुलिस थाने का घेराव करने वाले नेताओं को डेयरी साइंस के बड़े संस्थान के छीने जाने का दर्द महसूस ही नहीं हो रहा है। भूमिपूजन और मिलन समारोहों में व्यस्त जबलपुर के स्वयंभू मसीहा शहर के साथ हो रहे अत्याचार को न केवल स्वीकार कर रहे हैं,बल्कि इस ज्यादती को सही भी मान रहे हैं। जबलपुर के नेतागण उज्जैन का नाम आते ही इस बारे में बात करना भी पसंद नहीं कर रहे हैं। सत्ता पक्ष की चुप्पी तो शर्मनाक है ही ,लेकिन विपक्ष में बैठे नेता क्यों चुप हैं, ये खोज का विषय है।
अफसरों से उम्मीद नहीं
वेटरनरी विवि के अधिकारियों ने ठीक वैसा ही प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है,जैसा उनसे कहा गया था। अधिकारी इस बारे में किसी तरह की बात करने से इंकार कर रहे हैं। हाला3कि, अधिकारियों से ये उम्मीद करना थी बेमानी है,क्योंकि वे सरकार के अधीन है और जबलपुर से उनका कोई सीधा ताल्लुक भी नहीं है।
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