वकालात शुरू करने वाले बेटे ने अपने वकील पिता से अपनी कामयाबी और बुद्धिमत्ता का इजहार करते हुए कहा कि जिस केस को आपने बरसों से लटकाए रखा था, उसे मैंने एक दिन में ही निपटा दिया… बेटे की इस खुशी पर पिता ने गुर्राते हुए कहा कि मूर्ख! जिस प्रकरण की फीस से मैंने तुम्हें पढ़ाया-लिखाया… घर चलाया… तुम्हारी शादी कराई… उसे तुमने एक ही दिन में निपटा दिया… कुछ इस तरह की नादानी करते डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि वो चंद दिनों में ही कई देशों में चल रहे युद्ध को खत्म कर देंगे… डोनाल्ड यह नहीं जानते कि जिन युद्धों की आग अमेरिका भडक़ाता है… एक देश में ठंडी पड़ी तो दूसरे देश में लगाता है…कोई नहीं लड़े तो उन्हें लड़वाता है…दुनिया के किसी भी देश में युद्ध हो उसमें अमेरिका का हाथ फंसा नजर आता है, क्योंकि इन युद्धों से ही उसकी रोजी-रोटी चलती है…उसकी ताकत की परीक्षा होती रहती है…यह युद्ध ही दुनिया मेें उसकी चौधराहट बनाते हैं…यह युद्ध ही उन देशों को अमेरिका का गुलाम बनाते हैं, जिनकी मदद वो करता है…दरअसल अमेरिका हथियारों का सबसे बड़ा उत्पादक देश माना जाता है…अमेरिका मेें ही अस्त्र-श, लड़ाकू विमानों से लेकर मिसाइल और जहाजी बेड़े बनाए जाते हैं…इन्हीं हथियारों की सप्लाई से अरबों-खबरों डॉलर कमाए जाते हैं.. इन्हीं हथियारों के परीक्षण के लिए अमेरिका को बेटल टेस्ट की जरूरत होती है और इस टेस्ट के लिए बेटल फील्ड, यानी युद्ध-भूमि की जरूरत पड़ती है…अमेरिका दोहरा फायदा उठाता है…एक तो हथियारों का परीक्षण किसी दूसरे देश की धरती पर कर लोगों की जान दांव पर लगाता है और माल भी कमाता है, वहीं उस देश को उन हथियारों की कीमत का कर्जदार बना डालता है…इस युद्ध-भूमि में उसके फुस्सी हथियार भी खप जाते हैं और लड़ता-मरता देश उसका एहसान भी मानता है… इसलिए कभी इराक तो कभी अफगान…कभी यूक्रेन तो कभी इजराइल हर देश के युद्ध में अमेरिका खड़ा नजर आता है…अब ट्रंप युद्ध को खत्म करना चाहते हैं…हथियार सप्लाई रोकना चाहते हैं…युद्ध करने वाले देशों को आर्थिक गुलामी से आजाद करना चाहते हैं…यानी खुद अमेरिका को सडक़ पर लाना चाहते हैं तो भरोसा करना मुश्किल है…जो देश हथियारों के उद्योगों को जिंदा रखने के लिए अपने लोगों के हाथों में हथियार थमाए…बिना लाइसेंस लिए हर कोई हथियार खरीद पाए…जिस देश में बच्चे सडक़ों पर गोलियां चलाएं और हथियार माफियाओं के जोर के चलते अमेरिका कुछ न कर पाए, वो देश दुनिया में चल रहे युद्ध को रोकने की कसमें खाए तो समझ लेना चाहिए कि डोनाल्ड ट्रंप को अपनी इस बेवकूफी का जवाब उनके ही देश में मिल जाएगा…हकीकत तो यह है कि अमेरिका हथियारों के बल पर ही जिंदा है…पहले अमेरिका ने मशीनें बनाईं, लेकिन दुनिया मशीन बनाने लगी…फिर ऑटोमोबाइल सेक्टर से कमाई बढ़ाई, लेकिन पूरी दुनिया ने वहां जोर करा दिया…फिर आईटी सेक्टर में परचम लहराया, लेकिन उस सेक्टर को भी भारतीयों ने हथिया लिया…उसकी रोजी-रोटी… ताकत… हिमाकत… रौब-रुतबे के लिए हथियारों का निर्माण और सप्लाई इकलौता साधन बचा है… यदि दुनिया के देश आपस में नहीं लड़ेंगे तो अमेरिका के हथियार कहां खपेंगे और अमेरिकी फकलेट होने लगेंगे…हकीकत तो यह है कि अमेरिका का पेट केवल यूक्रेन और इजराइल के युद्ध से नहीं भरेगा…कुछ ही दिनों में ईरान को भी अमेरिका युद्ध में घसीटेगा और इजराइल की संपन्नता को लूटेगा…
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