नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कई बार ऐसी याचिकाएं आती हैं, जो जजों (Judge) को भी उलझन में डाल देती है. ऐसी ही एक याचिका (Petition) आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के एक याचिकाकर्ता की थी, जिसे समझने के लिए जजों ने लीगल सर्विस कमेटी (Legal Service Committee) के पास भेजा. आखिरकार, आज उसे अजीब बता कर खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता का दावा था कि उसके मस्तिष्क (Brain) को किसी मशीन (Machines) के जरिए पढ़ा जा रहा है और नियंत्रित भी किया जा रहा है. उसने उस मशीन को हटवाने की मांग की थी.
इससे पहले सितंबर में यह याचिका सुनवाई के लिए लगी थी. तब भी जजों ने याचिका पर हैरानी जताई थी, लेकिन उन्होंने उसे खारिज करने की बजाय समझने की कोशिश की. इसके लिए याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी के पास भेजा गया, ताकि वह विस्तार से उसकी बात सुनकर रिपोर्ट दें. याचिकाकर्ता के तेलुगु भाषी होने के चलते एक तेलुगु भाषा वकील को भी उसकी बात समझने के लिए नियुक्त किया गया. अब जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने याचिका को ‘विचित्र’ बता कर खारिज कर दिया है.
याचिकाकर्ता का कहना था कि कुछ लोगों ने हैदराबाद के सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (CFSL) से दिमाग को नियंत्रित करने वाली मशीन हासिल की है. इसके जरिए उसके मस्तिष्क को पढ़ा और नियंत्रित किया जा रहा है. CFSL के अधिकारी इस बारे में उसकी मदद नहीं कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट विशाखापत्तनम की सीबीआई टीम को मामले की जांच करने और मशीन को निष्क्रिय करने के लिए कहे. इससे पहले याचिकाकर्ता आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट गया था. वहां CFSL ने बताया था कि उसने याचिकाकर्ता का कभी कोई परीक्षण नहीं किया. किसी मशीन के सक्रिय होने या उसे निष्क्रिय करने का कोई सवाल ही नहीं है. इसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका पर कोई आदेश जारी करने से मना कर दिया है.
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