नई दिल्ली। दो साल से अधिक समय तक भारत (India) के 50वें मुख्य न्यायाधीश पद (50th Chief Justice post) पर रहे डी.वाई. चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) अपने बेबाक अंदाज (Outspoken style), न्यायिक सुधारों (Judicial reforms), राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक समेत कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जाने जाएंगे। चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर होंगे। दो दिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में छुट्टी होने के कारण शुक्रवार को ही उनका कार्यकाल खत्म हो गया।
न्यायिक सुधारों को गति- सीजेआई चंद्रचूड़ ने शुरू से ही न्यायिक सुधारों को गति देने और अदालतों में लंबित मुकदमे खत्म करने के लिए तकनीक और संसाधनों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। वह सुप्रीम कोर्ट समेत देश की अदालतों को अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर संसाधन मुहैया कराने को हमेशा तत्पर दिखे।
जजों की नियुक्ति-सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और जिला अदालतों में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को गति देने के लिए केंद्र और राज्यों पर लगातार प्रशासनिक और न्यायिक आदेश के जरिए ध्यान आकर्षित कराया।
सुनवाई का सीधा प्रसारण-इसके अलावा, सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण, मुकदमों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट में वाररूम, राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय एवं अभिलेखार (एनजेएमए) को स्थापित किया।
क्षेत्रीय भाषाओं में फैसलों का अनुवाद- उन्होंने हिंदी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति अपना लगाव दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को हिंदी, पंजाबी, तमिल सहित अन्य भाषाओं में अनुवाद कराने का फैसला किया।
निजता और आधार के मुद्दे पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ 2017 में निजता और आधार से जुड़े मसले पर अपना फैसला देते हुए ‘निजता’ को मौलिक अधिकार दिया। इस पीठ में जस्टिस चंद्रचूड़ न सिर्फ शामिल थे, बल्कि यह ऐतिहासिक फैसला भी उन्होंने ही लिखा था। इसके कुछ माह बाद भी संविधान पीठ ने 41 के बहुमत से आधार की संवैधानिकता को बरकरार रखा।
सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने राजनीति में काले धन पर अंकुश लगाने और पारदर्शिता के लिए केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को आम चुनाव से कुछ माह पहले असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। इसके अलावा राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली कंपनियों के नाम भी सार्वजनिक करने को आदेश दिया। केंद्र ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की थी।
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद
सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ ने नवंबर, 2019 में दशकों से चली आ रही अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद को लेकर फैसला दिया था। फैसला सुनाने वाले संविधान पीठ में जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ भी शामिल थे। करीब 200 साल पुराना विवाद 1980 के दशक में हिन्दुत्व की एक मजबूत पहचान बन गया। पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिक गई थी।
दिल्ली और केंद्र के बीच अधिकारों पर फैसला
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच अधिकारों को लेकर जारी विवाद पर 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को विधायी और कार्यकारी शक्तियों से वंचित नहीं किया जा सकता। पीठ ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार को नियंत्रण दिया था।
अनुच्छेद-370 केंद्र के फैसले को सही ठहराया
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने अनुच्छेद-370 मामले में 11 दिसंबर 2023 को केंद्र के निर्णय को सही ठहराया। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 खत्म कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था। पीठ ने माना कि अनुच्छेद-370 केवल अस्थाई प्रावधान था।
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