जबलपुर। आमतौर पर समय पूर्व प्रसव के मामलों में बच्चे बेहद कमजोर पैदा होते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टरों को भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। नेशनल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने ऐसे ही एक चैलेंज को स्वीकार किया और अंडरवेट बच्चे को उसकी मां के साथ स्वस्थ कर घर भेजा। इस बच्चे का जीवन बचाने के लिए नेशनल हॉस्पिटल की पूरी टीम ने अथक मेहनत की। नेशनल हॉस्पिटल के डायरेक्टर हिमांशु तिवारी ने बताया कि नवजात को बचाने के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
कितना था बच्चे का वजन
हनुमानताल निवासी निधि को जब अस्पताल में भर्ती किया गया तब उसकी हालत अच्छी नहीं थी। निधि को नेशनल हॉस्पिटल में समय पूर्व प्रसव हुुआ और 1 किलो 34 ग्राम का बच्चा पैदा हुआ। डॉक्टर विजया जायसवाल ने बच्चे की स्थिति को देखकर चिंता व्यक्त की,क्योंकि बच्चा बेहद कमजोर था। इसके बाद भी डॉ.जायसवाल ने बच्चे को एनआईसीयू पर वेंटीलेटर पर रखा और गहन चिकित्सा व सतत निरीक्षण के उपरांत बच्चा स्वस्थ हो गया।
बाधाएं, जो पार की
डॉ.विजया जायसवाल ने बताया कि कम वजन होने के कारण बच्चे की अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करना सबसे बड़ी चुनौती थी,लेकिन अपने अनुभव और दवाईयों की मदद से बच्चे को बचाया जा सके। वहीं हिमांशु तिवारी ने बताया कि बच्चे के अंडरवैट होने के बाद स्थिति काफी नाजुक बन गयी थी,लेकिन हमारी टीम ने अपनी तत्परता से मुश्किल स्थिति को पार किया।
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