इंदौर (Indore)। रेसीडेंसी एरिया का सर्वे प्रशासन ने पूरा करवा लिया है और अब 731 एकड़ में शामिल 2241 खसरों का प्रकाशन करते हुए दावे-आपत्तियां आमंत्रित की जाएगी। अभी 60 फीसदी जमीन मालिकों ने ही अपने दस्तावेज सौंपे हैं। वहीं कलेक्टर के मुताबिक जिन जमीन मालिकों के दस्तावेज नहीं मिले उनकी जमीनों को सरकारी भी घोषित किया जा सकता है। रेसीडेंसी एरिया का जब सर्वे शुरू हुआ था तब कुल 1030 एकड़ जमीन मानी गई थी। मगर जांच के बाद पता चला कि डेली कॉलेज और छावनी एरिया की जमीनें भी इसमें शामिल कर ली गई, जिसके चलते 300 एकड़ से अधिक जमीन कम हो गई और अब 731 एकड़ जमीन का ही राजस्व रिकॉर्ड तैयार होगा।
बीते कई वर्षों से रेसीडेंसी के अनसर्वर्ड एरिया का राजस्व रिकॉर्ड तैयार करने की कवायद चलती रही। मगर कलेक्टर आशीष सिंह ने इसे गंभीरता से पूरा करवाया, क्योंकि अरबों रुपए कीमत की ये जमीनें हैं, जिसमें सरकारी बंगलों के साथ-साथ खुली जमीनें भी शामिल है। रेसीडेंसी, रेडियो कॉलोनी से लेकर गीता भवन चौराहा, रतलाम कोठी तक का एरिया इसमें शामिल है, जिसके चलते शुरुआत में 1030 एकड़ जमीन मानी जा रही थी। मगर ड्रोन और भौतिक सर्वे के बाद 731 एकड़ जमीन ही रेसीडेंसी एरिया की पाई गई और शेष जमीन डेली कॉलेज और छावनी की निकली। दरअसल, 120 एकड़ से अधिक जमीन तो डेली कॉलेज की ही है और शेष जमीनें छावनी एरिया की, जो पहले इसमें शामिल मान ली गई थी। मगर अब 731 एकड़ जमीन को लेकर ही दावे-आपत्तियां आमंत्रित होंगी, जिसमें 2241 खसरे शामिल हैं और उनकी नम्बरिंग भी कर ली गई है।
कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक अब इस पर दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा और उसके बाद दावे-आपत्तियों की सुनवाई की प्रक्रिया होगी। पूर्व में भी संबंधित जमीन मालिकों से रिकॉर्ड बुलवाए गए थे, जिनमें से 60 फीसदी ने ही दस्तावेज सौंपे हैं। अब दावे-आपत्तियों में जिन-जिन जमीन मालिकों के रिकॉर्ड मिलेंगे उनकी जांच-पड़ताल की जाएगी और जिनके दस्तावेज नहीं मिले उन जमीनों को सरकारी भी घोषित कर दिया जाएगा, क्योंकि पूर्व में भी प्रशासन ने लगातार इन जमीन मालिकों से कहा कि वे अपनी सम्पत्तियों से संबंधित दस्तावेज जमा करा दें। उल्लेखीय है कि बीते कई वर्षों से यह सर्वे चल रहा है और पिछले दिनों प्रशासन ने सारा एप पर भी इससे जुड़े दस्तावेजों को अपलोड करना शुरू कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि लगभग एक हजार से अधिक जमीन मालिकों ने तो दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं। वहीं जिन लोगों के पास दस्तावेज नहीं हैं उनके धारणाधिकार के तहत काबिज किया जाएगा। अभी कई लोग इसलिए डरे हुए हैं कि कहीं उन्हें हटाने की कार्रवाई नहीं की जाए।
जबकि प्रशासन का कहना है कि राजस्व रिकॉर्ड के कॉलम 12 में ऐसे लोगों को कब्जेधारक के रूप में दर्ज किया जाएगा और धारणाधिकार के तहत अधिकार रहेंगे। पिछले दिनों शासन ने भी इस तरह के निर्देश जारी किए हैं। प्रशासन का मकसद यह है कि कम से कम एक बार सम्पूर्ण रेसीडेंसी एरिया का राजस्व रिकॉर्ड तैयार हो जाए, ताकि यह पता लग सके कि कितनी जमीन सरकारी है और कितनी निजी। हालांकि इसमें भी आजाद नगर, शुक्ल नगर सहित कई क्षेत्र ऐसे हैं जिनके दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं और एक तरह से यह अवैध बस्ती ही है। वहीं धार कोठी भू-घोटाले से लेकर नवरतनबाग सहित कई भू-घोटाले भी इसमें उजागर होंगे, ताकि भविष्य में इन जमीनों की खरीद-फरोख्त भी ना हो सके। दरअसल, अभी तक यह पूरा क्षेत्र अनसर्वर्ड ही रहा है, जिसके चलते कई जमीनों के खेल भी यहां पर हुए हैं। अब दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया के बाद 731 एकड़ जमीन की वर्तमान स्थिति स्पष्ट हो जाएगी और उसके चलते भविष्य में इन जमीनों पर योजनाएं बनाने में भी शासन-प्रशासन को आसानी रहेगी। इसमें कई जमीनें केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग की भी है, तो वहीं संभागायुक्त, कलेक्टर के बंगलों से लेकर न्यायाधीशों और अन्य अफसरों के बंगले भी मौजूद हैं।
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