नई दिल्ली। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने कर अधिकारियों (Tax authorities) को निर्दिष्ट शर्तों के अधीन टैक्सपेयर्स (Taxpayers) के देय ब्याज को माफ करने या कम करने की मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार, पीआरसीआईटी रैंक का अधिकारी (PRCIT rank officer) 1.5 करोड़ रुपये से अधिक (more than Rs 1.5 crore) के बकाया ब्याज (Outstanding interest ) को कम करने या माफ करने का फैसला कर सकता है। 50 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक के बकाया ब्याज के लिए सीसीआईटी रैंक का अधिकारी छूट/कटौती का फैसला करेगा, जबकि पीआरसीआईटी या आयकर आयुक्त 50 लाख रुपये तक के बकाया ब्याज पर फैसला कर सकते हैं। वहीं धारा 220(2ए) के तहत देय ब्याज में कटौती या छूट तीन निर्दिष्ट शर्तों के पूरा होने पर मिलेगी।
18,000 फर्जी कंपनियों का पता लगाया, 25,000 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी
देश भर में चलाए गए विशेष अभियान के जरिए कर अधिकारियों ने जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड करीब 18,000 फर्जी कंपनियों का पता लगाया है, जो करीब 25,000 करोड़ रुपये की कर चोरी में शामिल हैं। इन कंपनियों ने धरातल पर किसी सामान की खरीद-बिक्री नहीं की। सिर्फ कागजों में सामान की खरीद-बिक्री दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) तैयार किया और उसके नाम पर सरकार से बड़ी रकम ले ली।
धोखाधड़ी की जांच एक साल में पूरी करनी होगी
सीबीआईसी ने सीमा शुल्क अधिकारियों से निर्यात/आयात धोखाधड़ी के मामलों में पत्र/समन जारी करते समय चल रही जांच की विशिष्ट प्रकृति का खुलासा करने और एक साल के भीतर जांच पूरी करने को कहा है।
सीबीआईसी ने एक नवंबर को जारी निर्देश में कहा, ” किसी भी वाणिज्यिक आसूचना/धोखाधड़ी के मामले की जांच जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुंचनी चाहिए, जो सामान्यतः एक वर्ष से अधिक नहीं होती है। जांच शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि सभी सूचनाओं पर गौर किया जाए तथा आयातक/निर्यातक के साथ संपर्क को कम करने के लिए उपलब्ध आंकड़ों की दोबारा जांच की जाए। सीबीआईसी के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि दिशानिर्देश सीआई धोखाधड़ी मामलों की जांच के दौरान न्यूनतम व्यवधान के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं।
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