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    रोजमर्रा का सामान हो सकता है महंगा, दाम बढ़ाने की तैयारी में FMCG कंपनियां!

  • November 04, 2024

    नई दिल्ली। रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान (daily use goods) बनाने वाली देश की प्रमुख FMCG कंपनियों (FMCG companies) के मार्जिन में जुलाई-सितंबर तिमाही में ऊंची उत्पादन लागत (High production costs) और फूड इनफ्लेशन (Food inflation) की वजह से गिरावट आई है। इससे शहरी क्षेत्रों में खपत पर असर पड़ा है। FMCG (Fast Moving Consumer Goods) कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान जैसे पाम ऑयल, कॉफी और कोको के दाम बढ़ गए हैं। ऐसे में अब कुछ कंपनियों ने प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाने का संकेत दिया है।


    हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (GCPL), मैरिको, ITC और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) ने शहरी खपत में कमी पर चिंता जताई है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, FMCG क्षेत्र की कुल बिक्री में शहरी खपत की हिस्सेदारी 65-68 प्रतिशत रहती है। खास बात यह है कि ग्रामीण बाजारों ने शहरी बाजारों की तुलना में अपनी ग्रोथ की रफ्तार को कायम रखा है।

    शॉर्ट टर्म झटका होने का अनुमान
    GCPL के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO सुधीर सीतापति ने दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा के मौके पर कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह एक शॉर्ट टर्म झटका है और हम विवेकपूर्ण मूल्य वृद्धि और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे।’’ सिंथोल, गोदरेज नंबर-वन, हिट जैसे प्रोडक्ट्स बेचने वाली GCPL ने भारत में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और उपभोक्ता मांग में कमी के बावजूद एक स्थिर तिमाही प्रदर्शन दर्ज किया।

    एक अन्य FMCG कंपनी डाबर इंडिया ने भी कहा कि सितंबर तिमाही में मांग का माहौल चुनौतीपूर्ण था, जिसमें हाई फूड इनफ्लेशन और शहरी मांग में कमी शामिल थी। कंपनी, डाबर च्यवनप्राश, पुदीन हरा और रियल जूस जैसे प्रोडक्ट्स की मालिक है। कंपनी ने जुलाई-सितंबर 2024 तिमाही के दौरान कंसोलिडेटेड शुद्ध मुनाफे में 17.65 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की और यह 417.52 करोड़ रुपये रहा। इस दौरान कंपनी का ऑपरेशंस से रेवेन्यू 5.46 प्रतिशत घटकर 3,028.59 करोड़ रुपये रहा।

    मिडिल सेगमेंट दबाव में
    हाल ही में नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायणन ने भी FMCG क्षेत्र में गिरावट पर चिंता जताई और कहा कि मिडिल सेगमेंट दबाव में है। इसकी वजह है कि हाई फूड इनफ्लेशन ने घरेलू बजट को प्रभावित किया है। फूड इनफ्लेशन में वृद्धि के बारे में नारायणन ने कहा कि फल-सब्जियों और तेल की कीमतों में तेज उछाल आया है। अगर कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत को मैनेज करना मुश्किल हुआ तो कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। जहां तक ​​कॉफी और कोको की कीमतों का सवाल है, हम खुद एक मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं। नेस्ले इंडिया के पास मैगी, किट कैट और नेस्कैफे जैसे ब्रांड का मालिकाना हक है। कंपनी की डॉमेस्टिक सेल्स ग्रोथ 1.2 प्रतिशत रही है।

    ग्रामीण क्षेत्र में धीमी वृद्धि जारी
    टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सुनील डिसूजा का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च प्रभावित हुआ है। फूड इनफ्लेशन शायद हमारी सोच से अधिक है और इसका प्रभाव कहीं अधिक है। HUL के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित जावा ने कहा कि इस तिमाही में मार्केट वॉल्यूम ग्रोथ सुस्त रही है। हाल की तिमाहियों या तिमाही में शहरी ग्रोथ प्रभावित हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में धीमी वृद्धि जारी है। पिछली कुछ तिमाहियों से यह शहरी क्षेत्र से आगे है और इस बार भी ग्रामीण क्षेत्र, शहरी क्षेत्र से आगे है।

    HUL के पास सर्फ, रिन, लक्स, पॉन्ड्स, लाइफबॉय, लैक्मे, ब्रुक बॉन्ड, लिप्टन और हॉर्लिक्स जैसे ब्रांड का मालिकाना हक है। सितंबर तिमाही में कंपनी का कंसोलिडेटेड शुद्ध मुनाफा 2.33 प्रतिशत गिर गया। मैरिको ने भी मांग में सालाना आधार पर ग्रामीण क्षेत्र में शहरी क्षेत्र की तुलना में दोगुनी वृद्धि दर्ज की है। आईटीसी ने लागत में बढ़ोतरी की वजह से मार्जिन में 0.35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। कंपनी के पास आशीर्वाद, सनफीस्ट, बिंगो, यिप्पी जैसे ब्रांड हैं।

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