उज्जैन। उज्जैन आरटीओ में एक अक्टूबर से वाहनों के पंजीयन और स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के कार्ड बनना बंद हो गए हैं, लेकिन इसके बावजूद आवेदकों से प्रति कार्ड के 200 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। यह शुल्क डिजिटल कार्ड के नाम से वसूला जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि जब कार्ड मिलना ही नहीं है तो शुल्क क्यों?
उल्लेखनीय हैं कि एक अक्टूबर से केंद्रीय परिवहन विभाग ने ई-कॉपी सिस्टम शुरू कर दिया है, जिससे अब लाइसेंस और आरसी कार्ड बनना बंद हो गए हैं, लेकिन कार्ड नहीं मिलने पर भी फीस वसूली बंद नहीं हो रही है। प्रति कार्ड 200 रुपए शुल्क अभी भी लिया जा रहा है। इस हिसाब से अक्टूबर में परिवाहन विभाग अब तक लाखों रुपए की अवैध वसूल कर चुका है। बता दें कि उज्जैन आरटीओ में रोज लगभग 200 से 300 पक्के लाइसेंस बनते हैं और वाहनों का पंजीयन होता है। हर आवेदन पर प्रति कार्ड 200 रुपए के हिसाब से प्रतिदिन 60 हजार रुपए की अवैध वसूली हो रही है लेकिन आवेदकों को कार्ड नहीं मिल रहे हैं। आरटीओ विभाग से जुड़े अधिकारियों की माने तो स्मार्ट चिप कंपनी का कुछ महीनों पहले आरटीओ के साथ कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया था। अवधि समाप्त होने के बाद भी एक्सटेंशन के आधार पर कंपनी का काम चलता रहा, लेकिन 30 सितंबर को एक्सटेंशन अवधि खत्म होने के बाद कंपनी ने काम करना बंद कर दिया। 1 अक्टूबर से आवेदक के मोबाइल पर आरसी और लाइसेंस लिंक के डिजिटल यानि ई-कॉपी आने लगी है। जो सभी जगह मान्य होगा।
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