नई दिल्ली: कर्नाटक को ‘मुफ्तखोरी’ अब महंगी पड़ने लगी है. पांच गारंटियां देकर सत्ता में आई कांग्रेस के लिए अब अपनी इन गारंटियों को पूरा करने में पसीने छूट रहे हैं. मुफ्त राशन, बिजली, महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को भत्ते और महिलाओं को फ्री बस यात्रा जैसे वादे पूरे करने को भारी-भरकम पूंजी की जरूरत है. इन गारंटियों को पूरा करने में राज्य के खजाने का एक बड़ा हिस्सा जा रहा है.
इस वजह से अब बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पैसों का प्रबंध करने में कर्नाटक सरकार के पसीने छूट रहे हैं. अब राज्य सरकार ने बेंगलुरु को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए वर्ल्ड बैंक के आगे हाथ फैलाए हैं. सरकार ने विश्व बैंक से 5,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी है. यह राशि पाने को तैयार प्रस्ताव को ‘डिजास्टर रेजिलिएंस इनिशिएटिव’ नाम दिया गया है, जिसके तहत शहर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
इस परियोजना को वर्ल्ड बैंक से “सैद्धांतिक” मंजूरी मिल चुकी है और अंतिम मंजूरी फरवरी 2025 तक मिलने की उम्मीद है. वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस फंड का बड़ा हिस्सा बेंगलुरु में बुनियादी ढांचे को सुधारने में लगाया जाएगा, जबकि शेष राशि बेलगावी और मैंगलुरु जैसे आपदा-प्रभावित शहरों में खर्च की जाएगी.
सूत्रों ने बताया कि 3,500 करोड़ रुपये बेंगलुरु के लिए और 1,500 करोड़ रुपये राज्य के अन्य शहरों के लिए प्रस्तावित हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, “हमने यह प्रस्ताव वर्ल्ड बैंक को भेजा है. बेंगलुरु के लिए 3,500 करोड़ रुपये में से 2,500 करोड़ रुपये बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) को और बाकी बेंगलुरु जल आपूर्ति और मल निकासी बोर्ड (BWSSB) को आवंटित किए जाएंगे.”
रिपोर्ट के अनुसार, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के लिए आवंटित राशि मुख्य रूप से जल निकासी तंत्र को पुनर्गठित और आधुनिक बनाने पर खर्च होगी. सरकार का कहना है कि जल निकासी व्यवस्था की बीते दो दशकों से अनदेखी हो रही है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. शहर में नालों की खराब स्थिति से शहर की बाढ़ की समस्या और गंभीर हो गई है.
कर्नाटक सरकार आधुनिक स्वच्छता बुनियादी ढांचे की जरूरत को पूरा करने के लिए नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की भी योजना बना रही है. वित्त विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हम BBMP और BWSSB में कुछ सुधारात्मक कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं.”
यह महत्वाकांक्षी योजना बेंगलुरु के लिए राज्य सरकार की 1.3 लाख करोड़ रुपये की व्यापक योजना का हिस्सा है. अधिकारियों का कहना है कि इन निवेशों का उद्देश्य जीवन स्तर में सुधार लाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना, नवाचार को बढ़ावा देना और बेंगलुरु को एक वैश्विक व्यापार और प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में स्थापित करना है.
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