झारखंड । झारखंड (Jharkhand) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के लिए असम (Assam) के मुख्यमंत्री और भाजपा के सह चुनाव प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) बीते कई महीनों से प्रदेश में डटे हुए हैं और राज्य की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) सरकार पर निशाना साध रहे हैं। हालांकि झामुमो भी उन्हें लगातार बाहरी बताते हुए उन पर हमलावर है। इसी बात को लेकर शुक्रवार को सरमा का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने खुद को बाहर बताए जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर का नाम लेते हुए सीएम हेमंत सोरने से पूछा कि अगर मैं बाहरी हूं तो फिर मीर क्या हैं?
सरमा ने मीर का उदाहरण देते हुए राज्य सरकार पर एक विशेष समुदाय के लिए रेड कारपेट बिछाने का आरोप लगाया, और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मीर को धक्का देकर बाहर निकालकर दिखाने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि जब मीर यहां से चले जाएंगे तो अगले दिन वे भी राज्य छोड़कर चले जाएंगे।
मीडिया से बात करते हुए भाजपा के चुनाव सह-प्रभारी ने कहा, ‘असम से क्या हिमंता बिस्व सरमा नहीं आ सकते, क्या बात बोलते हो, एक विशेष समुदाय के लोगों को ही यहां ग्रीन कार्ड है क्या। तो गुलाम अहमद मीर को धक्का मारो, अगले दिन मुझे भी धक्का मारो। लेकिन पहले मीर को धक्का मारो। मैं हेमंत सोरेन को चैलेंज देता हूं, मीर को यहां से धक्का मारो, अगले दिन मैं अपने आप यहाँ से चला जाऊंगा। लेकिन आपमें दम है, मीर को धक्का मारने की। मीर को आप क्यों नहीं बोलते हो, वह बाहर का है। ये देश आप एक विशेष समुदाय के तुष्टीकरण से नहीं चला सकते।’
उधर बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने के मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा, ‘कानून के रास्ते से लात मार-मारकर बांग्लादेशियों को बाहर निकालूंगा। कानून का रास्ता निकालूंगा और कानून के रास्ते से उनको लात मार-मार कर बाहर निकालूंगा।’
एक रिपोर्टर ने पूछा कि क्या हिमंता जी दोबारा इस धरती पर आएंगे तो जवाब में असम के सीएम ने कहा, ‘अभी मैं इधर ही हूं, सरकार बनने पर पहला फैसला सीजीएल की परीक्षा रद्द करने का होगा, दूसरा फैसला गोगो दीदी योजना लागू करने का होगा, फिर मैं वापस गुवाहाटी जाऊंगा।’
बता दें कि हिमंता ने जिन गुलाम अहमद मीर का नाम लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा पर हमला किया, वे जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं और झारखंड चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी भी हैं।
झारखण्ड में जनता का पैसा मिया आलमगीर आलम के घर पहुँचता है। मिया इरफ़ान अंसारी, मुख्यमंत्री की भाभी और एक आदिवासी नेता के बारे में अनाप-शनाप कहते हैं, और उन्हें कुछ नहीं होता। JMM-Cong की सरकार किसकी है? क्या यह सिर्फ एक ही समुदाय के लिए है? pic.twitter.com/Xf8JYemZ2b
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) November 1, 2024
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