बर्लिन । जर्मनी (Germany) ने गुरुवार को ईरान (Iran) के तीनों वाणिज्य दूतावासों (Consulate) को बंद (Close) करने का आदेश दिया। यह आदेश ईरानी-जर्मन कैदी जमशिद शरमाहद (Jamshid Sharmahad) की फांसी के बाद दिया गया है। शरमाहद अमेरिका में रहते थे और 2020 में ईरानी सुरक्षा बलों ने दुबई से कथित तौर पर उनका अपहरण कर लिया था।
जर्मन विदेश मंत्री ने की वाणिज्य दूतावासों को बंद करने की घोषणा
ईरानी अदालत के मुताबिक, शरमाहद (69 वर्षीय) को सोमवावार को ईरान में आतंकवाद के आरोपों में फांसी दी गई। यह फांसी 2023 के एक मामले में दी गई, जिसे जर्मनी, अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने फर्जी करार दिया था। जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना ने बेयरबॉक ने फ्रैंकफर्ट, हैम्बर्ग और म्यूनिक में ईरानी वाणिज्य दूतावासों को बंद करने की घोषणा की। अब ईरान के पास बर्लिन में केवल अपना दूतावास ही शेष है।
फांसी पर जर्मन विदेश मंत्रालय ने जताया था विरोध
जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने पहले मंगलवार को ईरान के प्रभारी राजदूत को तलब कर शरमाहद की फांसी के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था। जर्मन राजदूत मार्कस पोत्जेल ने भी ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागजी के सामने विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद उन्हें वापस बर्लिन वापस बुला लिया गया था। शरमाहद विदेश में रहने वाले उन ईरानियों में से थे, जो देश की सरकार से संतुष्ट नहीं है। उन्हें धोखे से या अपहरण करके 2015 में ईरान लाया गया।
ईरान ने लगाए थे उन पर हमले की योजना सहित कई आरोप
ईरान ने शरमाहद पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 2008 में एक मस्जिद पर हमले की योजना बनाई थी, जिसमें 14 लोगों की जान गई थी, जिनमें पांच महिलाएं और एक बच्चा शामिल थे और 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। शरमाहद कैलिफोर्निया के ग्लेंडोरा में रहते थे। ईरान का यह भी आरोप था कि शरमाहद ने ईरान के एक छोटे आतंकवादी समूह किंगडम असेंबली ऑफ ईरान के जरिए अन्य हमलों की भी योजना बनाई।
ईरान ने शरमाहद पर यह भी आरोप लगाया था कि उन्होंने 2017 में एक टेलीविजन कार्यक्रम में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड के मिसाइल स्थलों की गोपनीय जानकारी साझा की। उनका परिवार इन आरोपों का खंडन करता रहा और वर्षों तक उन्हें रिहा कराने के लिए प्रयास करता रहा।
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