उमरिया। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य (बीटीआर) (Bandhavgarh Tiger Reserve (BTR) में जहरीला पदार्थ खाने से तीन और जंगली हाथियों की मौत हो गई है, जिससे तीन दिन में मरने वाले हाथियों की संख्या बढ़कर 10 (Number of elephants increased to 10) हो गई है। वन विभाग (Forest Department.) के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ-वन्यजीव) वीकेएन अंबाडे ने अभयारण्य के अंदर से फोन पर ‘बताया, ‘बुधवार शाम को एक हाथी की मौत हो गई, जबकि गुरुवार को दो अन्य हाथियों की मौत हो गई।’
उन्होंने कहा, ‘फिलहाल हमें (हाथियों की मौत में) कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। मैंने आस-पास के कई इलाकों का दौरा किया है। मुझे अभी तक कोई गड़बड़ी नहीं दिख रही है। लेकिन देखते हैं कि (शव परीक्षण और फॉरेंसिक) रिपोर्ट क्या कहती है।’ दिल्ली से वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की पांच सदस्यीय टीम बीटीआर में है। अंबाडे ने कहा, ‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नागपुर स्थित क्षेत्रीय अधिकारी, सहायक वन महानिरीक्षक नंदकिशोर काले, स्थिति का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने के लिए यहां डेरा डाले हुए हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हमारा राज्य बाघ स्ट्राइक बल भी खोजी कुत्तों के साथ जांच कर रहा है।’ मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि आसपास की कृषि भूमि, धान के खेतों, जल निकायों और उन खेतों से नमूने एकत्र किए गए हैं, जहां हाथियों ने कोदो बाजरा खाया था। फोन पर संपर्क किए जाने पर, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘शव परीक्षण किए गए हैं और पशु चिकित्सकों ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर कहा है कि उनके पेट में विषाक्तता देखी गई है।’
पूर्वी मध्यप्रदेश के उमरिया और कटनी जिलों में फैले बांधवगढ़ में हाथियों की मौत की जांच करने वाली राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पांच सदस्यीय समिति के प्रमुख कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘इसके अलावा, उनके पेट में बहुत सारा कोदो बाजरा पाया गया है।’ कृष्णमूर्ति से जब पूछा गया कि क्या मृत हाथियों ने खेत में छिड़के गए किसी जहरीले कीटनाशक का सेवन किया था, तो उन्होंने कहा, ‘हमने हाथियों के नमूने (अंदर के हिस्से) जांच के लिए जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएच) को भेजे हैं। फॉरेंसिक जांच से ही जहर का पता चलेगा।’
उन्होंने कहा कि सभी मृत हाथी 13 के झुंड का हिस्सा थे, जिसमें एक नर हाथी भी शामिल था, जिसकी मौत हो चुकी है। कृष्णमूर्ति ने बताया कि झुंड के बचे हुए तीन हाथी स्वस्थ हैं और जंगल में उनकी लगातार निगरानी की जा रही है। उन्होंने बाद में एक बयान में कहा कि वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारियों और जबलपुर स्थित एसडब्ल्यूएफएच की टीमों ने नौ हाथियों का पोस्टमार्टम किया है और दसवें शव का पोस्टमार्टम शुक्रवार को किया जाएगा। कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘नमूने एकत्र किए गए हैं और उन्हें विश्लेषण के लिए एसडब्ल्यूएफएच फॉरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। पशु चिकित्सकों ने कोदो बाजरा से जुड़े माइकोटॉक्सिन की संभावना का संकेत दिया है।’
माइकोटॉक्सिन साइक्लोपियाजोनिक एसिड उत्पन्न करते हैं जो कोदो बाजरा में विषाक्तता पैदा करता है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वन विभाग के वन्यजीव पशु चिकित्सक नियमित संपर्क में हैं और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून, राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, सागर और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) हैदराबाद के विशेषज्ञों से भी परामर्श कर रहे हैं ताकि माइकोटॉक्सिन के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की जा सके।
भारतीय वन सेवा के अधिकारी ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार के निर्णय के अनुसार एसआईटी और विशेष कार्य बल की टीमें सभी संभावित कोणों से मामले की जांच कर रही हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, यह शायद देश में पहला ऐसा मामला है, जहां तीन दिनों के अंतराल में दस वन्यजीव हाथियों की मौत हुई है। मंगलवार को, लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण रिजर्व के खितोली रेंज के अंतर्गत सलखनिया और बकेली क्षेत्रों में फॉरेस्ट गार्ड द्वारा नियमित पेट्रोलिंग के दौरान चार जंगली हाथी मृत पाए गए। इसके बाद, बुधवार और गुरुवार को छह और हाथियों की मौत हो गई थी। कृष्णमूर्ति के नेतृत्व वाली जांच समिति को सरकार ने दस दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
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