नई दिल्ली । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah)ने मंगलवार को CRS यानी सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम(civil registration system) मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च (Launch of mobile application)की। अब इसकी मदद से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र ऑनलाइन आवेदन कर हासिल कर सकेंगे। कहा जा रहा है कि इस ऑनलाइन सुविधा की मदद से दोनों तरह के प्रमाण पत्र लेने में लगने वाले समय कम करने में भी मदद मिलेगी।
कैसे करें आवेदन
सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए यूजर को ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। ऐसा इस लिंक- https://crsorgi.gov.in/web/index.php/auth/signUp की मदद से किया जा सकता है। साइन अप के लिए यूजर को नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, जन्म या मृत्यु का समय और एड्रेस संबंधी जानकारी देनी होगी।
कौन से दस्तावेज
घर में जन्म की स्थिति में- तय प्रोफॉर्मा में माता-पिता की तरफ से घोषणापत्र देना होगा। साथ ही पते का प्रमाण देना होगा। इसके लिए वोटर आईडी कार्ड, बिजली का बिल, गैस का बिल, पानी का बिल, फोन का बिल, पासपोर्ट, राशन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता जैसे दस्तावेजों में से कोई एक दिया जा सकता है।
अस्पताल में जन्म होने की स्थिति में जानकारी देने की जिम्मेदारी परिवार की नहीं होगी। इसके लिए संस्था के ड्यूटी इंचार्ज को जन्म की जानकारी संबंधित रजिस्ट्रार को देनी होगी।
कितने दिनों में देने होंगे दस्तावेज
जन्म के बारे में जानकारी 21 दिनों के अंदर देना होगी। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो माता-पिता को संबंधित रजिस्ट्रार के पास जाना होगा। अगर 21 दिनों से ज्यादा और 30 दिनों से कम देरी होती है डिले फीस और तय प्रोफोर्मा में जानकारी यानी फॉर्म 1 देन होगा। अगर 30 दिनों से ज्यादा और 1 साल से कम देरी होती है, तो फॉर्म 1, नॉन अवेलेबिलिटी सर्टिफिकेट यानी फॉर्म 10, डिले फीस, हलफनामा और संबंधित अधिकारी से अनुमति पेश करना होगी।
एक साल से ज्यादा देरी होने पर फॉर्म 1, फॉर्म 10, डिले फीस, हलफनामा और फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट से आदेश हासिल करना होगा।
मौत की जानकारी 21 दिनों के अंदर देनी होगी
घर में हुई मौत की जानकारी 21 दिनों के अंदर देनी होगी। इसके लिए परिवार को सदस्यों को घोषणापत्र, फॉर्म 2 के जरिए जानकारी, मृतक का एड्रेस प्रूफ देना होगा। अगर अस्पतार में मौत हुई है, तो इसकी जिम्मेदारी ड्यूटी इंचार्ज को देनी होगी। खास बात है कि मृत्यु की जानकारी घटना के 21 दिनों के अंदर देनी होगी। अगर यह समय सीमा पूरी हो जाती है, तो संबंधित रजिस्ट्रार से संपर्क करना होगा।
अगर देरी हुई तो
21 दिनों से ज्यादा और 30 दिनों से कम देरी पर डिले फीस और तय प्रोफॉर्मा यानी फॉर्म 2 के जरिए जानकारी देनी होगी। 30 दिनों से ज्यादा और 1 साल से कम देरी पर फॉर्म 2, नॉन एवेलिबिलिटी सर्टिफिकेट यानी फॉर्म 10, डिले फीस, हलफनामा और संबंधित अधिकारी से अनुमति लेनी होगी। एक साल से ज्यादा देरी होती है, तो फॉर्म 2, फॉर्म 10, डिले फीस, हलफनामा और फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट से आदेश लेना होगा।
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