नई दिल्ली । महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (maharashtra assembly election)के लिए नामांकन की अंतिम तारीख (Last date for nomination)मंगलवार को समाप्त हो गई। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की अगुवाई वाली मायुति और कांग्रेस (mayuti and congress)के नेतृत्व वाले गठबंधन महा विकास अघाड़ी के बीच लड़ाई है। सीट शेयरिंग के साथ शुरू हुआ विधानसभा चुनाव के इस दंगल में कांग्रेस की तुलना में भाजपा अधिक मजबूत दिख रही है। भाजपा ने सीट शेयरिंग के दौर की पहली लड़ाई में काफी मजबूत दिख रही है। 150 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं, कांग्रेस के हिस्से में महायुति में सिर्फ 100 सीटें गई हैं।
इस वार्ता में शामिल केंद्रीय नेताओं से नाराजगी जाहिर की
हाल ही में सीट शेयरिंग की बातचीत के दौरान यह खबर सामने आई कि राहुल गांधी महाराष्ट्र में पार्टी के नेताओं और इस वार्ता में शामिल केंद्रीय नेताओं से नाराजगी जाहिर की है। वह इस डील से खुश नहीं हैं। उन्होंने सभी को इसके लिए फटकार लगाई है। हालांकि, पार्टी ने इसका खंडन किया था।
सीट शेयरिंग को लेकर विदर्भ से नाराजगी की खबरें सामने आने लगी हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “हम यहां दो कारणों से सीटों के बंटवारे में कमजोर पड़ गए। पहला हमारे प्रदेश के नेताओं के बीच आंतरिक मतभेद। दूसरा कारण यह था कि महायुति की तुलना में हमारे खेमे में शामिल दो क्षेत्रीय सहयोगी हमारे हाईकमान से बेहद सख्त सौदेबाजी की है।”
गतिरोध की स्थिति में पदाधिकारियों की कोई भूमिका नहीं
उन्होंने कहा, “एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) दोनों की कांग्रेस आलाकमान तक सीधी पहुंच है। शरद पवार हमेशा सख्त सौदेबाजी करते हैं। शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत किसी भी समय राहुल गांधी को फोन कर सकते हैं। गतिरोध की स्थिति में स्थानीय पदाधिकारियों की कोई भूमिका नहीं रह जाती है।”
उन्होंने कहा कि महायुति में न तो अजित पवार और न ही एकनाथ शिंदे सीधे पीएम मोदी या अमित शाह को फोन कर सकते हैं। यह सौदेबाजी बातचीत के दौरान महाराष्ट्र भाजपा की के पक्ष में गया।
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