नई दिल्ली । भारतीय वैज्ञानिकों (Indian Scientists)ने अनंत ब्रह्मांड (Infinite Universe)में एक नया ग्रह खोज (New planet discovery)निकाला है, जो पृथ्वी जैसा रहने लायक (habitable like earth)हो सकता है। भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) के शोधकर्ताओं ने इस ऐतिहासिक खोज के बाद नए ग्रह को TOI-6651b नाम दिया है। यह ग्रह पृथ्वी से लगभग पांच गुना बड़ा है। इसका सूर्य हमारे सूर्य से मिलता-जुलता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका द्रव्यमान पृथ्वी से लगभग 60 गुना ज्यादा है। ब्रह्मांड के जिस क्षेत्र में इस ग्रह की खोज की गई, उसे वैज्ञानिक अपनी भाषा में नेप्यूनियन रेगिस्तान कहते हैं। उस क्षेत्र में ऐसे किसी भी ग्रह का मिलना दुर्लभ है।
यह पीआरएल वैज्ञानिकों द्वारा की गई चौथी खोज है। यह खोज वैश्विक अंतरिक्ष रिसर्च में भारत के बढ़ते योगदान को दर्शाती है। TOI-6651b नामक अनोखा ग्रह है, जिसका पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 60 गुना ज्यादा है तथा इसका आकार पृथ्वी से लगभग पांच गुना अधिक है। खगोलशास्त्री ब्रह्मांड में जिस एरिया को “नेप्च्यूनियन रेगिस्तान” कहते हैं, वहां इस ग्रह की खोज हुई है। यह खोज इसलिए भी हैरान कर देने वाली है क्योंकि इस क्षेत्र में आमतौर पर इस आकार के ग्रह का अस्तित्व नहीं। TOI-6651b की खोज ने वैज्ञानिकों की उत्सुकता इसलिए भी बढ़ा दी है, क्योंकि इसके अध्ययन से ग्रहों के निर्माण और विकास के बारे में काफी जानकारी मिल सकती है।
क्या है नेपच्यूनियन रेगिस्तान
यह ब्रह्मांड में ऐसा रहस्यमय क्षेत्र है जहां इस द्रव्यमान के बहुत कम ग्रह मौजूद हैं, इसलिए यह खोज यह पता लगाने का एक दुर्लभ अवसर है कि ऐसे ग्रह आमतौर पर वहां क्यों नहीं हैं और जो है वो किन परिस्थितियों में बना है। यह ग्रह अपने सूर्य TOI-6651 की परिक्रमा 5.06 दिन के चक्र में पूरी करता है। जिसका अर्थ है कि इसका “वर्ष” पृथ्वी के एक महीने के केवल एक अंश भी नहीं है। इस ग्रह का सूर्य TOI-6651 एक G-प्रकार का विशालकाय तारा है जो हमारे सूर्य से थोड़ा बड़ा और बेहद गर्म है। इसकी सतह का तापमान लगभग 5940 K है।
ग्रह का वातावरण कैसा है
ग्रह का 87% हिस्सा चट्टानों से भरा है और यह लौह पदार्थों से बना है। इसके शेष हिस्सों पर हाइड्रोजन और हीलियम का हल्का आवरण है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह की अनोखी संरचना यह दर्शाती है कि TOI-6651b बनने में अद्वितीय विकासात्मक प्रक्रियाएं हुई होंगी, संभवतः अन्य पिंडों के साथ इसका विलय हुआ होगा। हालांकि, यह अभी वैज्ञानिकों द्वारा जांच का विषय है।
TOI-6651b की खोज ग्रह निर्माण के बारे में वैज्ञानिकों की मौजूदा सोच और सिद्धातों को चुनौती देती है। यह सवाल उठाती है कि इतने विशाल और घने ग्रह कैसे विकसित हुए। TOI-6651b का बारीकी से अध्ययन करके, वैज्ञानिक ग्रह प्रणालियों को आकार देने वाली जटिलता को जानने की कोशिश करेंगे, जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
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