नई दिल्ली । सरकार (Government)ने अगले साल ही जनगणना करवाने का फैसला (The decision to conduct a census)कर लिया है। वहीं जनगणना की प्रक्रिया 2026(Census Process 2026) तक पूरी कर ली जाएगी। हालांकि अब तक यह नहीं स्पष्ट है कि जातिगत जनगणना होगी या नहीं। विपक्षी दलों के साथ एनडीए के भी कई सहयोगी दल लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। यहां तक कि आरएसएस ने भी कहा है कि देश में जातियों की जानकारी भी सामने आना जरूरी है।
रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि जगनणना के बाद सरकार परिसीमन की प्रक्रिया भी शुरू करेगी। इसके बाद लोकसभा सीटों का दोबारा बंटवारा किया जाएगा। वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया के बाद महिला आरक्षण कानून को लागू किया जाएगा। 2022 में अटल बिहारी वाजपेयी ने परिसीमन की प्रक्रिया को 25 साल के लिए टाल दिया था। उनका कहना था कि 2026 के बाद होने वाली जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में 2031 के बाद परिसीमन होना था। हालांकि मौजूदा सरकार परिसीमन की प्रक्रिया 2027 में ही शुरू करना चाह रही है। वहीं यह काम एक साल में ही पूरा हो जाएगा। 2029 के लोकसभा चुनाव में परिसीमन के बाद करवाए जाएंगे।
हाल ही में जनगणना आयुक्त और रजिस्ट्रार जनरल मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल बढ़ाकर अगस्त 2026 तक कर दिया गया है। परिसीमन के साथ भी अपनी समस्याएं हैं। दक्षिण को चिंता है कि इससे संसद में उसका प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। उत्तर में जनसंख्या ज्यादा है ऐसे में परिसीमन के बाद लोकसभा सीटें भी ज्यादा हो सकती हैं। ऐसे में आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों ने यह सवाल उठाया है।
एक केंद्रीय मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि परिसीमन की प्रक्रिया में उत्तर और दक्षिण के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। इस मामले में सभी लोगों से चर्चा करके ही कोई फैसला होगा। इसके अलावा कई अनुच्छेदों में संशोधन की भी जरूरत होगी। इसमें आर्टिकल 81, आर्टिकल 170, आर्टिकल 82, 55, 330 और 332 शामिल हैं।
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