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    धार्मिक नजरिये से अहम है केदारनाथ विधानसभा सीट, बाबा केदार की धरती पर छिड़ी नाक की लड़ाई

  • October 28, 2024

    देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के चार धामों में से एक केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) से जुड़ी केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव (Kedarnath Assembly by-election) का ताज किसके सर सजेगा, ये राजनीतिक गलियारों में सबसे पसंदीदा चर्चा का विषय है. यहां सीधी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. सोमवार को दोनों पार्टियों को कैंडिडेट्स ने अपने नामांकन दाखिल किए. इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पौड़ी के सांसद अनिल बलूनी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष समेत तमाम बड़े नेता अपनी अपनी पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में जुटे.

    2013 में आई बड़ी आपदा के बाद केदारनाथ धाम और केदारनाथ वैली में दोबारा से इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के काम शुरू हुए. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की कमान संभाली तो केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कामों ने रफ्तार पकड़ी. पीएम मोदी समय-समय पर केदारनाथ आते रहे हैं. केदारनाथ आस्था का भी बड़ा केंद्र बन गया है. इस साल चार धाम यात्रा में सबसे ज्यादा तीर्थ यात्री केदारनाथ पहुंचे हैं. केदारनाथ के साथ हिंदू धर्मावलंबियों की आस्था और पीएम का कनेक्ट उप चुनाव को खास बनाता है. बीजेपी के राजनीतिक केंद्र में हिंदू तीर्थस्थलों का बड़ा रोल है और केदारनाथ उसी प्राथमिकता की एक कड़ी है. साल 2002 से अस्तित्व में आई केदारनाथ विधानसभा में तीन बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस जीत चुकी है.


    केदारनाथ से बीजेपी की विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद यहां उप चुनाव हो रहा है और बीजेपी किसी भी हाल में अपने पास सीट बनाए रखना चाहती है. दरअसल, इसी साल बीजेपी फैजाबाद लोकसभा सीट हार गई थी, जिसमें अयोध्या भी आता है. इसके बाद हुए उत्तराखंड के बद्रीनाथ विधानसभा सीट के उपचुनाव में भी बीजेपी के हाथ हार लगी. अयोध्या में समाजवादी पार्टी तो बद्रीनाथ में कांग्रेस जीत गई थी. हिंदू राजनीति के केंद्र में अयोध्या और बद्रीनाथ दोनों बहुत इंपॉर्टेंट सेंटर्स हैं और जब दोनों ही केंद्र बीजेपी से दूर हो गए तो अब पार्टी में पूरी जान केदारनाथ में लगा दी है.

    खास बात ये है कि पार्टी ने परंपरा से हटते हुए दिवंगत विधायक शैला रानी रावत के परिवार से किसी को टिकट ना देकर, दो बार की पूर्व विधायक आशा नौटियाल को चुनाव में उतार दिया. वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक मनोज रावत पर दांव खेला है जो पिछले विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर थे. सीट पर करीब 90,000 वोटर हैं. जाति समीकरण की बात करें तो सीट पर ठाकुर वोटर्स की संख्या ज्यादा है. गौरतलब है कि भाजपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा है, जबकि कांग्रेस में ठाकुर कैंडिडेट को प्राथमिकता दी है.

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