नई दिल्ली: कनाडा ने भारत के साथ अपने रिश्ते खराब कर लिए. इसका कारण खुद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो हैं. उन्होंने भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर का हत्या का आरोप लगाया. हालांकि इस आरोप को लेकर कनाडा की विपक्षी पार्टी से लेकर उनके अपने पार्टी के ही नेता ने उन्हें घेर लिया. यहां तक की ट्रूडो की अपने ही पार्टी के सांसदों ने पद छोड़ने का अलटीमेटम दे दिया था.
यह अल्टीमेटम आज अब खत्म हो गया. लेकिन जस्टिन ट्रूडो के कान पर जूं नहीं रेंगा. अब ऐसे में सवाल उठता है कि उनके पार्टी के सांसद का अगला कदम क्या होगा. क्या जस्टिन ट्रूडो को अपनी कुर्सी छोड़नी ही पड़ेगी या उनके पास कोई और भी विकल्प है.
हालांकि ट्रूडो ने पहले ही अपने पार्टी के सांसदों के अल्टीमेट को भाव नहीं दिया. बता दें कि लिबरल पार्टी के ही करीब दो दर्जन सांसदों ने उन्हें पद छोड़ने और नेतृत्व से पीछे हटने के लिए 28 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया था. इस अल्टीम का जवाब देते हुए ट्रूडो ने कहा था कि वह अपनी लिबरल पार्टी का नेतृत्व अगले चुनाव भी में करते रहेंगे.
बता दें कि हाल ही ट्रूडो की कुर्सी पर कई बार खतरे मंडराए. देश में जब ट्रूडो की लोकप्रियता पर सर्वे हुआ तो वह पहले के मुकाबले कम लोकप्रिय नजर आए. इसके बाद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया. हालांकि इस अविश्वास प्रस्ताव को तो ट्रूडो झेल गए, लेकिन अपने ही सांसदों का अल्टीमेटम अब क्या रास्ता निकालेंगे इसपर सबकी नजर बनी हुई है.
जस्टिन ट्रूडो ने अल्टीमेटम पर साफ कर दिया था कि वह न तो इस्तीफा देंगे और न ही चुनाव से पीछे हटेंगे. बढ़ते दबाव के बीच उन्होंने संकल्प लिया है कि वह आगामी चुनावों में अपनी लिबरल पार्टी को जीत दिलाएंगे. ट्रूडो ने उन खबरों को खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि उनकी पार्टी के कुछ सदस्य उन्हें फिर से चुनाव न लड़ने के लिए कह रहे हैं.
गौरतलब है कि जस्टिन ट्रूडो पिछले 9 सालों से सत्ता में हैं. कनाडा के इतिहास में पिछले एक सदी से भी अधिक समय में कोई भी कनाडाई प्रधानमंत्री लगातार चार बार चुनाव नहीं जीता है. जस्टिन ट्रूडो अपने नाम यह कीर्तिमान स्थापित करना चाहते हैं. मगर सर्वे के नतीजे उनके पक्ष में जाते नहीं दिख रहे हैं. उनकी लोकप्रियता लगातार घट रही है.
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