नई दिल्ली। यूपी उपचुनाव (UP by-election) की राह में नई चुनौतियों और बीजेपी (BJP) की बदली रणनीति से जूझती समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अब इसके लिए नया तोड़ निकालने में जुट गए हैं। भाजपा ने जहां एक ओर प्रत्याशी चयन में पीडीए (PDA) को भी तवज्जो दी है तो वहीं बंटोगे तो कटोगे का नारा भी असर करता दिख रहा है। इसके चलते सपा ने जवाब में पीडीए (पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक) को न बंटने देने पर जोर देना शुरू कर दिया है। फिलहाल यही उनका सबसे बड़ा चैलेंज भी लग रहा है।
कांग्रेस के काडर को साथ लाने की चुनौती
सपा को अहसास है कि कांग्रेस के चुनाव न लड़ने से उसके काडर व वोटर का सपा प्रत्याशियों को उस तरह समर्थन मिलना मुश्किल होगा। क्योंकि कांग्रेस के मैदान में न रहने से उसके कार्यकर्ताओं में उदासीनता का भाव आ रहा है। कांग्रेस ने अपनी ओर से सीट वार समन्वय समितियां बना दी हैं। अब अखिलेश यादव ने कहा है कि सपा व कांग्रेस के पदाधिकारियों के बीच समन्वय बैठकें होंगी।
बसपा के लिए यह चुनाव चुनौतियों वाला
बसपा भले ही सपा को उसकी चालों से ही मात देना चाहती हो पर यह चुनाव उसके लिए काफी चुनौतियों वाला भी है। 403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में बसपा के पास मात्र एक विधायक ही है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा अपने दम पर सभी सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन मात्र एक ही सीट बलिया की रसड़ा ही जीत पाई। इतना ही नहीं दलित वोट बैंक पर अपना पूरी तरह से दावा करने वाली बसपा को मात्र 12.88 फीसदी ही वोट मिले। इससे खराब हाल वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में हुआ। वह एक सीट भी नहीं जीत पाई और उसका वोट बैंक सिखकर 9.35 पर पहुंच गया। अब देखने वाला होगा कि सपा को उसके चाल से ही मात देने की मायावती की कोशिश कितनी सफल होती है।
सपा की जीती हुई सीटों पर कड़ा मुकाबला
पिछली बार सपा ने करहल, कुंदरुकी, सीसामऊ व कटेहरी सीट जीती थी तो रालोद ने सपा के सहयोग से मीरापुर को फतेह किया था। अब रालोद भाजपा के सहयोग से लड़ रहा है। सीसामऊ में सपा के मुस्लिम प्रत्याशी के सामने भाजपा व बसपा दोनों के प्रत्याशी ब्राह्मण हैं। यहां सपा के लिए चुनौती उतनी नहीं है जितनी कुंदरकी में हैं। यहां सपा व बसपा दोनों के मुस्लिम प्रत्याशी हैं। कटेहरी में ओबीसी वोटों के लिए तीनों दलों में जंग होनी है। सपा के कुर्मी प्रत्याशी के सामने भाजपा का निषाद प्रत्याशी है तो बसपा ने शाक्य को मौका दिया है। करहल में तो लड़ाई फूफा बनाम भतीजे की है। भाजपा व सपा दोनों के यादव प्रत्याशी हैं। सपा की सबसे मजबूत सीट यही मानी जा रही है। यहां अखिलेश यादव व सांसद डिंपल यादव प्रचार शुरू कर दिया है।
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