इंदौर। मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क को अमल में लाने के लिए शासन ने भी कमर कस ली है, जिसके चलते अभी स्पेशल पैकेज के तहत ग्राम जामोदी के 55 किसानों को अधिक दर से मुआवजा देने की मंजूरी दी और 30 करोड़ 52 लाख रुपए भिजवाए। वहीं दूसरी तरफ एमपीआईडीसी ने अब पार्क की अधिग्रहित की जाने वाली जमीनों को बचाने के लिए हाईकोर्ट में केविएट भी दायर कर दी है, ताकि कोई किसान या जमीन मालिक भू-अर्जन या पारित अवॉर्ड के खिलाफ एकतरफा स्थगन आदेश हासिल न कर पाए।
यह लॉजिस्टिक पार्क इंदौर के औद्योगिक क्षेत्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इंदौर एयरपोर्ट और शहर से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर ही यह विकसित किया जा रहा है, जिस पर 1100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। इस लॉजिस्टिक पार्क में पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ फार्मा, अपेरल क्लस्टर, इंदौर-टीही-दाहोद रेलवे लाइन और प्रस्तावित महू रिंग रोड से जुडऩे का भी लाभ मिलेगा। दरअसल, इंदौर हाईकोर्ट से ही कुछ समय पूर्व जमीन मालिक स्टे ले आए थे, जो अभी 21 अक्टूबर को ही निरस्त किया गया, क्योंकि शासन ने स्पेशल पैकेज के तहत 24 लाख रुपए हेक्टेयर की दर से दो गुना मुआवजा देने का निर्णय लिया और कलेक्टर ने भी 30 सितम्बर को पुन: अवॉर्ड पारित कर दिए। लॉजिस्टिक पार्क में 255 एकड़ जमीन शामिल की गई है, जिसमें पीथमपुर के ग्राम जामोदी, खेड़ा, अकोलिया और सागोर की जमीनें शामिल है।
एमपीआईडीसी के कार्यकारी संचालक राजेश राठौर के मुताबिक अब भू-अर्जन में वैसे तो कोई बड़ी कठिनाई नहीं है और हाईकोर्ट से भी स्टे निरस्त हो गया है। फिर भी पारित किए गए अवॉर्ड या चल रही भू-अर्जन की प्रक्रिया में कोई अवरोध न आए इसलिए इंदौर हाईकोर्ट में केविएट दायर की गई है। इस मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क में शामिल गांवों की जमीनों के अवॉर्ड भी पारित हो गए हैं और एक गांव में अवॉर्ड नए सिरे से भी जारी कर दिया है। केविएट दायर करने के चलते अब जमीन मालिक या किसान एकतरफा आदेश प्राप्त नहीं कर सकेंगे और अगर कोई याचिका दायर होती है तो उसकी जानकारी एमपीआईडीसी को प्राप्त हो जाएगी।
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