नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) स्थानीय कच्चे तेल के उत्पादन (Local crude oil production) पर लगे अप्रत्याशित लाभ कर (Windfall Tax) को समाप्त करने के फैसला पर विचार कर रहा है। कच्चे तेल पर यह Tax 2022 में उच्च कीमतों के दौरान अत्यधिक मुनाफे (Excessive profits) को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के सलाहकार तरुण कपूर (Tarun Kapoor) के मुताबिक चूंकि वैश्विक तेल की कीमतों में अब काफी गिरावट आई है, इसलिए यह कर अब जरूरी नहीं रह गया है। उन्होंने कहा, वित्त मंत्रालय इस पर विचार करेगा। मुझे लगता है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने उन्हें पहले ही पत्र लिखा है।
केंद्र सरकार ने एक जुलाई 2022 को वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी के जवाब में देश में उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर (Windfall Tax) लागू किया था। यह कदम उन तेल रिफाइनरों के अत्यधिक मुनाफे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया था, जो घरेलू सप्लाई की कीमत पर ईंधन का निर्यात कर रहे थे। इसके साथ ही पेट्रोल, डीजल और विमानन ईंधन जैसे रिफाइन्ड पा्रेडक्ट पर अतिरिक्त टैक्स भी लगाया गया था। बीती 17 सितंबर को केंद्र सरकार ने कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर को शून्य कर दिया था।
मांग घटने से नरमी का अनुमान
चीन और अमेरिका में कमजोर मांग की वजह से तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद बन रही है। वहीं, पश्चिम एशिया में तनाव सीमित दायरे में रहने की संभावना भी जताई जा रही है। जेपी मॉर्गन के अनुसार, 2025 के अंत तक कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिर सकती हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण शुरुआत में ब्रेंट क्रूड की कीमत 139.13 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी, जो 2008 के बाद से सबसे अधिक थी। हाल के महीनों में पश्चिम एशिया में तनाव, खासकर इजरायल और अन्य देशों से जुड़े मुद्दों ने अक्टूबर की शुरुआत में तेल की कीमतों को सितंबर के 71 डॉलर से बढ़ाकर 81 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचा दिया था।
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