नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वरिष्ठ जज (Senior Judge) जस्टिस संजीव खन्ना (sanjeev khanna) 11 नवंबर को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (51st Chief Justice) बनने जा रहे हैं. राष्ट्रपति ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी देते हुए नियुक्ति पत्र जारी कर दिया है. वर्तमान CJI डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने केंद्र सरकार (Central government) को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की केंद्र सरकार को सिफारिश पिछले हफ्ते ही कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता नियम के अनुसार जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 से 13 मई 2025 तक करीब 6 महीने के लिए भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश यानी CJI के रूप में देश की न्यायपालिका का नेतृत्व करेंगे.
कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना?
विधिवेत्ताओं के परिवार में जन्मे संजीव खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहे जस्टिस देवराज खन्ना के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस हंसराज खन्ना के भतीजे हैं. संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ. दिल्ली के मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड से स्कूली शिक्षा पूरी कर वो 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हुए. फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के ही कैंपस लॉ सेंटर यानी CLC से उन्होंने कानून की डिग्री ली.
जस्टिस संजीव खन्ना के चाचा सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस हंस राज खन्ना ने 1976 में एडीएम, जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला, (1976) के ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले’ में एकमात्र असहमतिपूर्ण निर्णय सुनाया था. इसके बाद तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने वरिष्ठतम जज जस्टिस हंसराज खन्ना सहित चार जजों की वरिष्ठता दरकिनार कर जस्टिस एमएच बेग को जनवरी 1977 में देश का चीफ जस्टिस बनाया था.
6 महीने के लिए बनेंगे CJI
ये भी दिलचस्प तथ्य है कि जस्टिस खन्ना को उनके मूल उच्च न्यायालय- दिल्ली हाईकोर्ट से सीधे सुप्रीम कोर्ट पदोन्नत किया गया. 1997 से अब तक केवल छह जजों को उनके मूल उच्च न्यायालय से प्रोन्नत कर सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया है. उनमें जस्टिस सैयद अब्दुल नजीर, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई, जस्टिस लोकेश्वर सिंह पंटा, जस्टिस जीपी माथुर, जस्टिस रूमा पाल और जस्टिस एसएस कादरी शामिल हैं.
जस्टिस खन्ना को 18-01-2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. वे 13-05-2025 को अपने 65वें जन्मदिन से एक दिन पहले सेवानिवृत्त होंगे. वरिष्ठता नियम के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना 10 नवंबर 2024 से 13 मई 2025 तक 6 महीने की अवधि के लिए भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने जा रहे हैं.
कई मुकदमों में संविधान पीठ का हिस्सा रहे
ये भी सुखद संयोग रहा कि जस्टिस संजीव खन्ना ने सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में 18 जनवरी 2019 को सीजेआई की कोर्ट में शपथ लेने के बाद अपना पहला दिन उसी न्यायालय कक्ष यानी दो नंबर कोर्ट से शुरू किया जहां से उनके चाचा जस्टिस एच.आर. खन्ना ने इस्तीफा देकर सेवानिवृत्ति ली थी. जस्टिस एच. आर. खन्ना की तस्वीर भी कोर्टरूम में लगी है. सुप्रीम कोर्ट में अपने अब तक के कार्यकाल में जस्टिस खन्ना कई महत्वपूर्ण मुकदमों के लिए गठित संविधान पीठ का हिस्सा रहे
ऐसी ही संविधान पीठ और बड़ी पीठ के फैसलों में चुनावी बांड योजना प्रमुख है. इसमें बॉन्ड योजना को असंवैधानिक होने के कारण रद्द कर दिया गया. जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगाने वाली पीठ में भी जस्टिस संजीव खन्ना मौजूद थे. संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के कदम को बरकरार रखा. इसने राज्य का दर्जा बहाल करने का भी निर्देश दिया.
केजरीवाल को दी थी जमानत
जस्टिस खन्ना ने सीजेआई और जस्टिस कौल के दिए गए निर्णयों से सहमति जताई. जस्टिस संजीव खन्ना उस दो न्यायाधीशों की पीठ के भी अगुआ रहे जिसने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी. 1983 में दिल्ली बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में नामांकित हुए संजीव खन्ना ने शुरुआत में दिल्ली के तीसहजारी परिसर में स्थित जिला न्यायालय और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट और संवैधानिक कानून, प्रत्यक्ष कराधान, मध्यस्थता जैसे विविध क्षेत्रों में न्यायाधिकरणों में प्रैक्टिस की.
लंबा कानूनी अनुभव
कमर्शियल लॉ, कंपनी लॉ, लैंड लॉ, पर्यावरण कानून और चिकित्सा लापरवाही जैसे क्षेत्रों के साथ-साथ आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में उनका लंबा कार्यकाल रहा. सन 2004 में वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के लिए स्थायी वकील नियुक्त हुए. दिल्ली हाईकोर्ट में वो अतिरिक्त लोक अभियोजक और एमिकस क्यूरी के रूप में कई आपराधिक मामलों में भी अपनी भूमिका बखूबी निभाई. दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में 2005 में पदोन्नत हुए. 2006 में स्थायी न्यायाधीश बनाए गए. दिल्ली उच्च न्यायालय के जज रहते हुए, उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी, दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्र के अध्यक्ष/प्रभारी न्यायाधीश का पद संभाला.
13 मई 2025 को होंगे रिटायर
18 जनवरी, 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. उन्होंने 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष का पद संभाला. वह वर्तमान में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य हैं. जस्टिस खन्ना 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे.
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