मुम्बई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly elections) के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन से लेकर विपक्षी (Opposition) महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi.-MVA) में शामिल घटक दलों के बीच सीटों का तालमेल जारी है। अधिकांश तस्वीरें साफ हो चुकी हैं, लेकिन कुछ सीटों पर अभी बात बाकी है। एमवीए की बात करें तो इसमें शामिल शिवसेना (यूबीटी)(Shiv Sena – UBT), एनसीपी (शरद पवार) (NCP – Sharad Pawar) और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग का ऐलान हो चुका है। राज्य की 288 सीटों में से 255 सीटों के लिए सीट शेयरिंग का ऐलान हो चुका है। तीनें घटक दलों के खाते में अब तक समान रूप से 85-85 सीटें गई हैं। सीट शेयरिंग के फॉर्मूले का ऐलान करने से पहले कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच तकरार खुलकर सामने आई। दोनों दलों की लड़ाई का फायदा शरद पवार की पार्टी को मिलता दिख रहा है।
कांग्रेस और शिवसेना के बीच जारी इस लड़ाई के केंद्र बिंदु में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी है। दोनों दल चुनाव से पूर्व अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में हैं, ताकि नतीजे गठबंधन के पक्ष में आने पर इसके लिए दावेदारी ठोका जा सके। आपको बता दें कि सीएम बनने के लिए ही उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्ट (भाजपा) के साथ दशकों पुराना गठबंधन तोड़ लिया था। महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) की तरफ से उद्धव ठाकरे का नाम सीएम कैंडिडेट के तौर पर मजबूती से उछाला जा रहा है। वहीं कांग्रेस के पास इस पद के लिए कई दावेदार हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में मिली शानदार सफलता का फायदा उसे विधानसभा के दंगल में भी मिल सकता है।
बराबर की लड़ाई में कौन मार बाजी?
एमवीए की इस लड़ाई में शामिल दलों का सारा ध्यान सीएम की कुर्सी पर है। यहां कारण है कि तीनों दल बराबर की संख्या पर लड़ने का विचार की है। चुनाव नतीजे सामने आने के बाद जिसकी जितनी संख्या रहेगी, उस हिसाब से मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोका जा सकेगा। अगर एमवीए के पास चुनाव नतीजों में बहुमत होगा तो इसमें शामिल तीन प्रमुख दलों में से जिसके पास सबसे अधिक संख्या बल होंगे उसके द्वारा सीएम की कुर्सी पर दावा पेश किया जाएगा।
जब सीट शेयरिंग पर चर्चा का दौर शुरू हुआ तो कहा जाने लगा कि शरद पवार की पार्टी के खाते में तीनों में सबसे कम सीटें जाएंगी। इस बीच कांग्रेस और शिवसेना (यूबूटी) के बीच ठन गई। इसका फायदा शरद पवार को मिला। जब सहमति बनी तो बराबर की हिस्सेदारी मिली। इससे शरद पवार की राजनीतिक ताकत और उनकी बातचीत के कौशल का पता चलता है। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में एनसीपी का स्ट्राइक रेट काफी अच्छा रहा था। उसके 6 सांसद बने थे।
शरद पवार ने सीट शेयरिंग के दौरान पाटन सीट शिवसेना (यूबीटी) के लिए छोड़ दी। यह पवार की जीत है, क्योंकि बीते 10 वर्षों से यहां उनकी पार्टी को जीत नहीं मिली है। इसके बदले उन्होंने उन्होंने मराठवाड़ा क्षेत्र में कुछ अन्य सीटें हासिल कर ली है। ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें शरद पवार ने अपनी कौशल का लोहा मनवाया है। शरद पवार ने कांग्रेस और उद्धव गुट के साथ कई राउंड की बातचीत की। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने 85-85-85 पर दोनों दलों को राजी किया।
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