मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के लिए इन दिनों सियासी दलों में टिकट वितरण को लेकर मशक्कत का दौर जारी है. सभी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकटों का वितरण हो रहा है. इन सबके बीच राज्य की एक सीट (one seat) ऐसी है जहां तीन सेनाएं (three forces) , यानि- शिवसेना, शिवसेना यूबीटी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना आमने-सामने है. बात हो रही है मध्य मुंबई की माहिम सीट की, जहां से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) के बेटे अमित ठाकरे (Amit Thackeray) को चुनावी मैदान में उतारा है.
अमित, ठाकरे परिवार से चुनाव लड़ने वाले तीसरे व्यक्ति होंगे. उनके पिता मनसे के प्रमुख राज ठाकरे ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा है. अमित ठाकरे के नाम की घोषणा के साथ ही माहिम विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन गई है. एक और नई पीढ़ी के ठाकरे के चुनावी मैदान में उतरने से मनसे को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने माहिम विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक सदा सरवणकर और शिवसेना यूबीटी के महेश सावंत से कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है.
जब आदित्य ठाकरे के खिलाफ राज ने नहीं उतारे कैंडिडेट
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे और अमित के चचेरे भाई आदित्य ठाकरे ने 2019 के विधानसभा चुनावों में माहिम की बगल वाली वर्ली सीट से जीत हासिल की थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे खुद 2020 में विधान परिषद के लिए चुने गए. शिवसेना यूबीटी और शिंदे शिवसेना दोनों ने अमित ठाकरे के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि राज ठाकरे ने 2019 के चुनावों के दौरान आदित्य ठाकरे को बिना शर्त समर्थन दिया था.
अमित बोले- लोग करेंगे भविष्य का फैसला
हालांकि, अमित ठाकरे ने कहा कि वह अपने विरोधियों के बारे में चिंतित नहीं हैं क्योंकि चुनाव लड़ने का अवसर उन्हें उनके पिता ने दिया था और लोग उनके भाग्य का फैसला करेंगे. उन्होंने कहा कि कोई अकेले नहीं लड़ सकता, प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. साथ ही मनसे के वरिष्ठ नेता और सेवरी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बाला नंदगांवकर ने कहा कि राज ठाकरे बड़े दिल वाले व्यक्ति हैं. आज की राजनीति में ऐसे लोग नहीं बचे हैं.उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और हमने अपना फैसला ले लिया है अब लोगों को फैसला करने दीजिए.
माहिम शिवसेना का गढ़- राउत
वहीं यूबीटी सेना के सांसद और नेता संजय राउत ने स्पष्ट किया कि दादर-माहिम सीट शिवसेना का गढ़ रही है. इसलिए, इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है. यूबीटी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि बड़े दिल वाले राज ठाकरे ने पिछले चुनावों में हमेशा अपने उम्मीदवारों के साथ समझौता किया है.
आइए पिछले विधानसभा चुनावों में दादर-माहिम निर्वाचन क्षेत्रों में वोटिंग पैटर्न पर एक नजर डालते हैं:
2009
-एमएनएस के नितिन सरदेसाई – 48,734
-कांग्रेस सदा के सरवणकर – 39,808
-शिव सेना के आदेश बांदेकर – 36,364
2014
-शिव सेना के सदा सरवणकर – 46,291
-एमएनएस के नितिन सरदेसाई – 40,350
-भाजपा के विलास अंबेकर – 33,446
2019
-शिव सेना के सदा सरवणकर – 61,337
-मनसे के संदीप देशपांडे – 42,690
-कांग्रेस के प्रवीण नाइक – 15,246
दिलचस्प बात यह है कि मनसे केवल एक बार 2009 में जीतने में सफल रही है जब शिवसेना के मौजूदा विधायक सदा सरवणकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे जिससे मराठी वोट बैंक बंट गया और मनसे के नितिन सरदेसाई ने यहां जीत हासिल की
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