मॉस्को। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister Sergei Lavrov) ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS summit) से ठीक पहले रूस-भारत-चीन (आरआईसी) तिकड़ी (Russia-India-China (RIC) Trio) को लेकर बड़ा बयान दिया है। लावरोव ने कहा कि एशिया (Asia) दुनिया की ताकत के रूप में उभर रहा है। भारत-रूस और चीन की तिकड़ी विश्व का नया अर्थिक केंद्र (Economic center World) बन रही है। उन्होंने कहा कि यह तिकड़ी अपने आप में एक स्वतंत्र तंत्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 22-23 अक्तूबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) के निमंत्रण पर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए रूस का दौरा करेंगे। पीएम मोदी ब्रिक्स सदस्यीय देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक भी कर सकते हैं।
लावरोव ने कहा कि पिछले कुछ सालों से ये देश औपचारिक तौर पर नहीं मिले हैं, लेकिन आज भी ये एक मजबूत संबंध रखते हैं। 1990 के दशक में रूस-भारत-चीन तिकड़ी की नियमित बैठकें आयोजित करने की पहल हुई थी। बाद में इस तिकड़ी का विस्तार हुआ जो आगे जाकर ब्रिक्स के रूप में सामने आया। इसमें ब्राजील, साउथ अफ्रीका जुड़े। एक जनवरी, 2024 को ब्रिक्स में चार नए सदस्य मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को भी शामिल किया गया। रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि ब्रिक्स दुनिया की अर्थव्यवस्था में चल रहे बदलावों का प्रतीक है। आज दुनिया में नए आर्थिक केंद्र विकसित हो रहे हैं। इसका दुनिया पर बड़ा वित्तीय असर भी पड़ रहा है।
हम पश्चिमी देशों के विरोधी नहीं : लावरोव ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रिक्स का मकसद किसी से संघर्ष करना नहीं है। इसमें पश्चिमी देश शामिल नहीं हैं, इसका मतलब ये नहीं कि हम उनके विरोधी हैं। ब्रिक्स का मकसद अपने भूगोल, साझा इतिहास और एक दूसरे के करीब होने का लाभ उठाना है।
ब्रिक्स में भारत की अहम भूमिका : विक्रम मिस्री
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत ब्रिक्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खास तौर पर आर्थिक विकास, सतत विकास और वैश्विक शासन सुधार जैसे क्षेत्रों में। उन्होंने बताया, पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कजान जा रहे हैं। सम्मेलन के इतर, पीएम मोदी की कुछ द्विपक्षीय बैठकें होने की उम्मीद है। इन पर अभी काम चल रहा है। ब्रिक्स के इस संस्करण का विषय न्यायपूर्ण वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना है। मिस्री ने कहा, यह पहला शिखर सम्मेलन है जो पिछले साल जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स के पहले विस्तार के बाद हो रहा है।
शिखर सम्मेलन 22 अक्तूबर को शुरू होगा। शिखर सम्मेलन का मुख्य दिन 23 अक्तूबर को है और इसमें दो मुख्य सत्र हैं, सुबह एक बंद पूर्ण सत्र और उसके बाद दोपहर में शिखर सम्मेलन के मुख्य विषय पर समर्पित एक खुला पूर्ण सत्र। उन्होंने कहा, नेताओं से कजान घोषणा को अपनाने की भी उम्मीद है जो ब्रिक्स के लिए आगे का रास्ता तैयार करेगी। इस दस्तावेज पर वर्तमान में कजान में बातचीत चल रही है। शिखर सम्मेलन 24 अक्तूबर को समाप्त होगा। हालांकि, पीएम 23 अक्तूबर को वापस लौटेंगे।
मोदी-शी की मुलाकात पर चीन ने साधी चुप्पी
चीन के विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित मुलाकात पर उठे सवालों को सोमवार को चुप्पी साध ली। प्रवक्ता लिन जियान ने प्रेसवार्ता के दौरान इस बारे में किए सवाल का जवाब देते हुए कहा, यदि कुछ भी सामने आता है तो हम आपको सूचित करेंगे। बता दें, मोदी और शी रूस के कजान में मंगलवार से शुरू हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की कजान यात्रा से पहले, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को नई दिल्ली में कहा कि भारतीय और चीनी वार्ताकार पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त पर एक समझौते पर पहुंचे हैं। मिस्री द्वारा घोषित समझौते पर बीजिंग में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। जून 2020 में गलवां घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत-चीन संबंधों में गिरावट आई थी।
चीन ने पिछले शुक्रवार को घोषणा की थी कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जहां एकजुटता के साथ ताकत हासिल करने के लिए वह वैश्विक दक्षिण के लिए एक नए युग की शुरुआत करने के लिए अन्य दलों के साथ काम करेंगे।
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