जयपुर । कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Congress State President Govind Singh Dotasra) ने कहा कि राजस्थान में (In Rajasthan) कांग्रेस (Congress) किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी (Will not form Alliance with any Party) । डोटासरा ने सोमवार को स्पष्ट रूप से ऐलान किया कि उनकी पार्टी राजस्थान की सभी सात सीटों पर उपचुनाव अकेले लड़ेगी ।
डोटासरा ने यह भी कहा कि उनका यह बयान कांग्रेस वार रूम में प्रमुख नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद आया, जहाँ उन्होंने मीडिया को इस बात की जानकारी दी। डोटासरा ने भरोसा दिलाया कि जल्द ही सभी सात उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। लेकिन, कांग्रेस खेमे में स्थिति थोड़ी अस्थिर दिखाई दे रही है। कुछ दावेदार पहले से ही टिकट की मांग को लेकर शक्ति प्रदर्शन करने लगे हैं। झुंझुनू विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक समुदाय विशेष रूप से सक्रिय है, जहाँ मुस्लिम न्याय मंच ने कांग्रेस से टिकट की मांग की है।
कांग्रेस नेता और मदरसा बोर्ड अध्यक्ष एमडी चौपदार अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस वार रूम के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “आजादी के बाद से ही मुसलमान झुंझुनू में कांग्रेस को वोट देता आ रहा है। अब मुस्लिम समाज उपचुनाव में कांग्रेस से इस सीट पर टिकट की मांग कर रहा है।” उनकी यह मांग पार्टी के लिए एक नई चुनौती पेश करती है, क्योंकि अब उन्हें इस समुदाय की अपेक्षाओं पर ध्यान देना होगा।
देवली-उनियारा सीट पर टिकट की दावेदारी कर रहे नरेश मीणा भी इस खींचतान में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कांग्रेस वार रूम में प्रवेश करते हुए कहा, “मुझे 100% टिकट मिलेगा। पार्टी मेरे ऊपर विश्वास जताएगी। हम देवली-उनियारा सीट जीतकर कांग्रेस की झोली में डालेंगे।” उनके समर्थकों का गाड़ी काफिला भी वार रूम के बाहर दिखाई दिया, जो उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है।
कांग्रेस स्टेट कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में प्रमुख नेता जैसे अशोक गहलोत, सचिन पायलट और टीकाराम जूली भी मौजूद थे। सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कहा, “प्रदेश की सातों सीटों पर कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ेगी और जीतेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि “किसी की कोई नाराजगी नहीं रहेगी,” जो पार्टी के अंदर की एकता को दर्शाता है।
राजस्थान के उपचुनावों में कांग्रेस का यह दमदार इरादा निश्चित रूप से राज्य की राजनीतिक बिसात को एक बार फिर से बदलने का काम करेगा। सभी निगाहें अब इस बात पर टिकी हुई हैं कि क्या कांग्रेस अपनी रणनीति के माध्यम से इन चुनौतियों का सामना कर पाएगी या नहीं।
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