शासन ने फिर बढ़ाई समयसीमा, पूर्व में 31 अगस्त की समयसीमा की थी तय अधिकांश भवन निर्माता भी ले चुके हैं योजना का लाभ
इंदौर। शासन (Government) ने कम्पाउंडिंग (compounding) को लेकर बार-बार अपने नियमों (Rules) में संशोधन (Revision) तो किया ही, वहीं उसकी समयसीमा भी बढ़ाई जाती रही है। पूर्व में 10 फीसदी तक कम्पाउंडिंग यानी शमन शुल्क वसूली के ही अधिकार थे, मगर अब 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग की जा सकती है, जिसका लाभ इंदौर के अधिकांश बिल्डरों ने उठाया है। अब शासन ने 31 दिसम्बर तक इसकी समयसीमा तय कर दी है। यानी जो लोग 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग का लाभ लेना चाहते हैं वे ई-पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन और तय की गई राशि जमा कर सकते हैं। इंदौर नगर निगम लगभग 100 करोड़ रुपए की राशि इससे हासिल कर चुका है। हालांकि इसके एवज में सर्टिफिकेट नहीं दिया गया, क्योंकि कईबिल्डरों ने अपने चल रहे प्रोजेक्टोंकी भी कम्पाउंडिंग करवा ली है, वहीं कई होशियार आर्किटेक्ट और निर्माताओं ने अपने भविष्य के प्रोजेक्टों में भी अधिक निर्माण की गुंजाइश निकाल ली।
वैसे तो नगर निगम में अपील समिति भी बनी हुई है, जिसका काम ही कम्पाउंडिंग के लिए आने वाले आवेदनों का निराकरण करना है। हालांकि अपील समिति को सिर्फ अनुशंसा करने का ही अधिकार है और कम्पाउंडिंग नियमों के अनुरूप संबंधित भवन अधिकारी द्वारा ही की जाती है और इसके अधिकार भी निगमायुक्त में समाहित हैं। कुछ समय पूर्व शासन ने 10 की बजाय 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग करवाने का विकल्प दिया और इसके लिए समयसीमा भी तय की। इंदौर चूंकि अवैध निर्माणों का भी गढ़ है और लगभग हर बड़ी व्यवसायिक या अन्य इमारतों में स्वीकृत से अधिक निर्माण हुए हैं। लिहाजा इनसे जुड़े बिल्डरों ने फटाफट ऑनलाइन कम्पाउंडिंग के ना सिर्फ आवेदन किए, बल्कि राशि भी जमा कर दी, ताकि वे भविष्य की तोडफ़ोड़ या ऐसी अन्य कार्रवाई से बच सकें, जिसके चलते लगभग 100 करोड़ रुपए की राशि निगम खजाने में 2 साल पहले जमा हुई थी। उसके बाद फिर नए सिरे से कम्पाउंडिंग की अनुमति शासन ने जारी की, जो अभी 31 अगस्त को समाप्त हो गई। मगर अब एक बार फिर नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने इसकी समय सीमा बढ़ाकर 31 दिसम्बर कर दी है और इससे इंदौर सहित प्रदेश के बड़े शहरों के नगरीय निकायों को अतिरिक्त आमदनी हो सकेगी। इंदौर में ही कई अस्पताल, शॉपिंग मॉल से लेकर तमाम इमारतों में अधिक निर्माण हुआ है। वहीं अभी बेसमेंट सील करने की कार्रवाई भी प्रशासन ने शुरू करवाई। हालांकि कम्पाउंडिंग में नियम है कि एमओएस पार्किंग की जगह में हुए अवैध निर्माणों को वैध नहीं करवाया जा सकेगा। साथ ही विपरित उपयोग भी इसमें मंजूर नहीं है और सिर्फ उन इमारतों की ही कम्पाउंडिंग हो सकती है जिनका निगम ने विधिवत नक्शा मंजूर किया है और जिस आशय यानी उपयोग का नक्शा मंजूर किया है उसी के 30 फीसदी अधिक निर्माण की कम्पाउंडिंग की जा सकती है। आवासीय पर व्यावसायिक निर्माण वैध नहीं हो सकते।
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