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    UP : मशहूर शायर फहमी बदायूंनी का 72 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से थे बीमार

  • October 21, 2024

    बदायूं । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बदायूं (Budaun) निवासी मशहूर शायर फहमी बदायूंनी (Poet Fahmi Badayuni) का रविवार को निधन (passed away) हो गया. वह 72 साल के थे और लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा और शोक की इस घड़ी में उनके चाहने वाले उन्हें अपनी यादों में जिंदा रखेंगे. उनका निधन साहित्य जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है.

    जानकारी के मुताबिक, मशहूर शायर फहमी बदायूंनी का जन्म 4 जनवरी 1952 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था. परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए उन्होंने पहले लेखपाल की नौकरी की, लेकिन बाद में उन्होंने इसे छोड़ दिया. फहमी साहब को छोटे बहर में बड़े शेर कहने वाले शायर माना जाता था और उनकी शायरी नई नस्ल के शायरों के लिए जमीन तैयार करने वाली थी.

    हाल के दिनों में उनके कई शेर सोशल मीडिया पर वायरल हुए. आसान भाषा में लिखी उनकी शायरी युवा पीढ़ी को खूब पसंद आई. फहमी साहब की शायरी के मंच पर भी जब वे अपने खास अंदाज में सुनाते थे तो लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे. वहीं, लेखक और पत्रकार पंकज शर्मा ने फहमी साहब की शायरी की तारीफ करते हुए कहा, फहमी साहब बहुत कम शब्दों में पूरी बात कह देते थे, जैसे कोई जिंदगी का फलसफा एक लाइन में समझा दे.


    वे जिंदगी के शेर जितनी खूबसूरती से सुनाते थे, उतनी ही साफगोई से मोहब्बत के शेर भी सुनाते थे. उनसे मेरा पहला परिचय एक शिष्य-शिक्षक जैसा था. वे गणित और भौतिकी के सवालों को चुटकियों में हल कर देते थे. मानो वे जिंदगी की पेचीदगियों को अपने शेरों और शायरी में सुलझा देते थे. फहमी बदायुनी के शिष्य दत्त शर्मा ने भी उनके साथ बिताए वक्त को याद करते हुए कहा कि उन्होंने शायरी में नई चीजें पेश करने का जादू किया.

    2016 से युवा उन्हें जानने और सुनने लगे
    मैं 1990 में उनके साथ जुड़ा और 1995 में उनसे शायरी सीखना शुरू किया. हमारे गुरु के बारे में उनकी जो शैली थी, मुझे लगता है कि जॉन औलिया के बाद मेरे गुरु ने उनकी जगह ली. उनकी तीन किताबें प्रकाशित हुईं, लेकिन उन्हें पांचवें संत के तौर पर ज़्यादा लोकप्रियता मिली. उनके निधन के बाद उनके चाहने वाले उन्हें उनके शेर के ज़रिए याद कर रहे हैं. उन्होंने 2013 में सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट बनाया और 2016 तक युवा उन्हें जानने और सुनने लगे. फ़हमी साहब अपने पीछे दो बेटे जावेद और नावेद और अपनी पत्नी को छोड़ गए हैं. उनके निधन से उर्दू साहित्य में एक गहरा शून्य पैदा हो गया है.

    कुछ उनकी चुनिंदा शायरी:
    मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा, मैं तुमको याद आना चाहता हूं.
    तुमने नाराज होना छोड़ दिया, इतनी नाराजगी भी ठीक नहीं.
    हमारा हाल तुम भी पूछते हो, तुम्हें मालूम होना चाहिए था.
    फहमी बदायूंनी को सच्ची श्रद्धांजलि!

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