उज्जैन। सरकार ने टीबी पीडि़त मरीजों को आहार योजना के तहत मिलने वाली पोषण राशि में बढ़ोतरी करते हुए राशि दोगुनी कर दी है। इससे आर्थिक रूप से कमजोर टीबी पीडि़त मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।
मामले में जिला क्षय अधिकारी डॉ. रेणुका मरमट ने बताया कि विश्व में टीबी खत्म करने के लिए 2035 तक का लक्ष्य रखा है। टीबी के अधिकांश मरीज ऐसे हैं जिनके पास पौष्टिक आहार लेने की व्यवस्था नहीं है। इनके लिए अप्रैल 2018 से मप्र सरकार पोषण आहार के तहत राशि खातों में भेजती आ रही है। 6 महीने तक चलने वाले इलाज में मरीजों को हर माह 500 रुपए दिए जाते हैं लेकिन बढ़ती महंगाई के दौर में पर्याप्त नहीं थे। अब बढ़ी हुई राशि मरीजों को किस्तों में दी जाएगी। पहली किस्त 3 हजार रु. मरीज में टीबी की पुष्टि होने पर और दूसरी इलाज के 84 दिन पूरे होने के बाद दी जाएगी।
टीबी मरीजों में अधिकांश गरीब तबके के लोग
टीबी से ग्रस्त होने पर प्रोटीन व पौष्टिक भोजन की ज्यादा जरूरत होती है। अधिकांश मरीज गरीब तबके के होते हैं, जो पौष्टिक भोजन नहीं कर पाते हैं। इसी समस्या से निपटने के लिए सरकार ने निक्षय पोषण योजना की शुरुआत की है। बेहतर पोषण से मरीजों की मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। टीबी भी अलग-अलग प्रकार की होती है। फेफड़े में होने वाली टीबी 6 महीने तक नियमित उपचार लेने से सही हो जाती है। रीड़ की हड्डी और गठान होने पर उपचार में समय लगता है।
2024 में दो हजार मरीज मिले, इलाज जारी
जिला क्षय अधिकारी डॉ. रेणुका मरमट ने बताया कि जिले में इस साल अब तक 2000 टीबी के मरीज मिले हैं। इनमें शासकीय अस्पतालों के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में भी चिन्हित किया गया है। मरीजों का 6 महीने तक इलाज चलता है, जिन्हें दवाइयों के अलावा पौष्टिक आहार भी लेना पड़ता है। 1 नवंबर से मरीजों को सरकार की तरफ से 1 हजार रु. प्रतिमाह के हिसाब से पौष्टिक आहार के लिए राशि दी जाएगी।
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