नई दिल्ली. भारत (India) का कारोबार जगत (business world) अगले 10 साल में देश में भारी-भरकम निवेश (Investment) की तैयारी कर रहा है. एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते 10 साल में उद्योग जगत ने देश में जितना निवेश किया है, अब अगले 10 साल में वो इस रकम का 3 गुना निवेश करेगा.
वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश का कॉरपोरेट सेक्टर अगले 10 साल में करीब 800 अरब डॉलर यानी करीब 67 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर सकता है. भारतीय अर्थव्यवस्था में इतने बड़े निवेश के आने से विकास और डायवर्सिटी को बढ़ावा मिलने के मजबूत संकेत नजर आ रहे हैं.
आइए अब जानते हैं कि इस निवेश में से कितनी रकम किस सेक्टर को मिलेगी. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के मुताबिक कुल निवेश का करीब 40 फीसदी ग्रीन हाइड्रोजन, क्लीन एनर्जी, एविएशन, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन और डेटा सेंटर जैसे नए और उभरते क्षेत्रों पर खर्च होगा.
वेदांता, टाटा, अडानी, रिलायंस और जेएसडब्ल्यू समूह निवेश की इस योजना में बड़ी भागीदारी निभाएंगे. अगले एक दशक में इन नए उभरते क्षेत्रों में 350 अरब डॉलर का निवेश करने की तैयारी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के कुछ सबसे बड़े समूह नए कारोबारी क्षेत्रों पर फोकस कर रहे हैं. लेकिन कई ग्रुप अपने स्थापित बिजनेसेस में ही निवेश करना जारी रखेंगे. उनका लक्ष्य अपने कारोबार के साइज का विस्तार करना और मुनाफा बढ़ाना है.
रिपोर्ट के मुताबिक बिड़ला, महिंद्रा, हिंदुजा, हीरो, आईटीसी, बजाज और मुरुगप्पा समूह जैसी कंपनियां, जो अपनी पारंपरिक विकास रणनीतियों के लिए जानी जाती हैं, अपने आउटलुक को बनाए रखेंगी. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का अनुमान है कि मौजूदा बिजनेसेस में निवेश अगले दस साल में 400 अरब डॉलर से 500 अरब डॉलर के बीच पहुंच सकता है.
भारत तेजी से विकास करने वाला देश
इन कंपनियों ने पिछले दो साल से अपने निवेश की गति बनाए रखी है. इस भारी निवेश से भारतीय कंपनियों को एक सुनहरा मौका मिलेगा और इससे ना केवल उद्योगों को फायदा मिलेगा बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
गौरतलब है कि भारत दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली इकोनॉमी है. जाहिर है जब देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा और उनकी इनकम भी बढ़ेगी. इकोनॉमी को बढ़ाने में हर किसी का योगदान होता है. फैक्ट्रियां सामान बनाती हैं तो लोग उन्हें खरीदते हैं. इसी सबके असर से अर्थव्यवस्था की चाल बढ़ती चली जाती है और इसी साइकिल के जारी रहने से लोगों की जेब में ज्यादा पैसा पहुंचता है.
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