जबलपुर। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने बुधवार को पारित अपने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश में साफ कर दिया है कि राज्य व जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष व सदस्य फिलहाल अपने पदों पर बने रहेंगे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति को लेकर मामला विचाराधीन है। इसी बीच प्रदेश के फोरम और जिलो में गठित आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है या फिर होने वाला है। आयोग का कोरम पूरा नहीं होने से उपभोक्ताओं को बड़ी परेशानी हो जाती। उनके मामलों की सुनवाई प्रभावित होती। इस समस्या को देखते हुए जनहित याचिका दायर की गई।
जनहित याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि बिहार, केरल, उत्तर प्रदेश में भी राज्य व जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका को देखते हुए अंतरिम रूप से बढ़ा दिया गया है। जिला आयोग में हजारों की संख्या में मामले लंबित हैं। आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया तो सरकार चाहकर भी नई नियुक्ति नहीं कर पाएगी। ऐसे में नए प्रकरण दायर होते चले जाएंगे और पुराने प्रकरणों की सुनवाई भी नहीं हो पाएगी। अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल अंतरिम रूप से बढ़ाया जाना चाहिए ताकि आयोग में सुनवाई चलती रहे। अधिवक्ता शर्मा के तर्कों से सहमत होते हुए युगलपीठ ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए व्यवस्था दे दी कि जिला व राज्य आयोग के अध्यक्ष व सदस्य फिलहाल अपने पदों पर कायम रहेंगे।
आयोगों का दायरा क्या है
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह तथ्य रेखांकित हुआ कि 20 लाख रुपये कीमत तक के मामलों की सुनवाई जिला आयोग के द्वारा की जाती है। 20 लाख से एक करोड़ रुपये तक के मामलों की सुनवाई राज्य आयोग के द्वारा की जाती है। एक करोड़ रुपये से अधिक के मामलों में सुनवाई का क्षेत्राधिकार राष्ट्रीय अयोग का होगा है।
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