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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • October 14, 2024

    नेमा, सत्तन, मोघे की दूरी, उस्मान पहुंचे
    पिछले दिनों शहर की एक नामी होटल (naamee hotal) में हुए कार्यक्रम का आयोजन कुछ संस्थाओं और कांग्रेस (Congress) के नुमाइंदों ने किया था। वक्ता के रूप में बुलाया तो गोपी नेमा, सत्यनारायण सत्तन (Gopi Nema, Satyanarayan Sattan) और कृष्णमुरारी मोघे (Krishnamurari Moghe) को भी। कार्यक्रम में दिग्विजयसिंह, जीतू पटवारी (Digvijay Singh, Jeetu Patwari) और आरिफ मसूद जैसे कांग्रेसी नेता भी थे, लेकिन तीनों भाजपाई कार्यक्रम में नहीं पहुंचे या कहे कि जिस संगठन से वे आते हैं, उसने इसकी इजाजत नहीं दी। कार्यक्रम में शहर के अधिकांश मुस्लिम नेता और कांग्रेसी शामिल हुए। चौंकाने वाली उपस्थित पार्षद पति उस्मान पटेल की रही, जो विधानसभा चुनाव में निर्दलीय से भाजपा में शामिल हो गए थे। वे पूरे समय कार्यक्रम में रहे। भाजपा के ही नेताओं ने सवाल उठाया कि जिस कार्यक्रम से भाजपा के बड़े नेताओं ने दूरी बनाए रखी, वहां उस्मान किसलिए गए? इसको लेकर स्थानीय नेताओं ने भी संगठन को यह कहकर फोटो उपलब्ध कराए हैं कि उस्मान की आत्मा अभी भी कांग्रेस में बसती है।

    अब गायब है नेताजी
    हरियाणा चुनाव के परिणाम आने के पहले कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा करने वाले नेताजी इन दिनों गायब है। नेताजी ने तो इतना बड़ा दावा कर दिया था कि अगर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी तो वे भी भाजपा में शामिल हो जाएंगे। नेताजी की भावना के अनुसार परिणाम तो नहीं आए, लेकिन वे कुछ ज्यादा ही भावुक हो गए हैं। ढूंढने वाले उन्हें ढूंढ रहे हैं कि नेताजी के दावे का क्या हुआ और नेताजी है कि सामने आने से बच रहे हैं। अब आ भी जाओ नेताजी कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा और न ही भाजपा में शामिल होने का दबाव बनाएंगे।

    उस्ताद का मौन व्रत
    राजनीति में उस्ताद के नाम से जाने जाने वाले गोपीकृष्ण नेमा हर रविवार को अपने लाइव प्रोग्राम से चर्चा में तो हैं, लेकिन वे इस बार पूरे 9 दिन तक मौन रहे। खैर यह पहला मौका नहीं है, जब वे मौन नहीं रहे, लेकिन पहली बार 9 दिन तक मौन और फोन भी बंद? नेमा को जो जानते हैं, वे तो कुछ नहीं कह रहे, लेकिन उनकी ही पार्टी के लोगों का कहना है कि इतना कठिन व्रत और वो भी एक नेता द्वारा रखा जाना कोई बड़े उद्देश्य की ओर इशारा कर रहा है। अब नेमाजी इसकी सफाई दे रहे हैं कि मैं तो इसी तरह की भक्ति करता हूं। कोई कुछ भी कहे।

    विरोधियों के मजमे में शामिल हुईं ठाकुर
    गौरी नगर में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम रखा गया था। आयोजन नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे के नजदीकी पार्षद राजू भदौरिया द्वारा रखा गया था। आयोजन का उद्देश्य दो नंबर में एक तरह से शक्ति प्रदर्शन करना भी था और उसमें महू की विधायक उषा ठाकुर को भी बुलाया गया। कार्यक्रम में दिग्विजयसिंह भी पहुंचे। दिग्गी राजा ने तो सनातनी विरोधियों पर ही मोर्चा खोल दिया और कहा कि सनातन न तो कल खतरे में था और न आज खतरे में हैं। उनका उद्देश्य भाजपा नेताओं के बयानों को लेकर था। बारी आई ठाकुर की तो उन्होंने भी कह दिया कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाज है और समाज में धर्म के लिए जागृति होना चाहिए। कार्यक्रम में माला ठाकुर भी शामिल हुईं। हालांकि आयोजन पूरी तरह से दो नंबरी भाजपाइयों के विरोधी खेमे का था, जिसमें दो नंबर का कोई भी राजपूत नेता नहीं पहुंचा, लेकिन उषा ठाकुर ने वहां पहुंचकर विरोधियों को हवा तो जरूर दे दी है।

    गांधी भवन की कुर्सी पर है सबकी नजर
    एक बार फिर कई नेताओं की नजरें गांधी भवन की कुर्सी पर लगीहुई हैं। आने वाले दिन कांग्रेस में फेरबदल के होना है और इंदौर के नेता इसी उधेड़बुन में हैं कि अध्यक्ष बदल दिया जाए। सूची आना है और भोपाल-दिल्ली से इशारा किया जा रहा है कि इंदौर के मामले में भी फैसला लिया जाएगा। वैसे संभावना ज्यादा सदाशिव यादव की है और उनकी कुर्सी पर गांव के नेताओं की दावेदारी है। अगर दोनों अध्यक्षों को बदला जाता है तो सुरजीत को भी बैक टू पेवेलियन होना पड़ेगा। वैसे शहर की कुर्सी के लिए एक नेता की दिल्ली तक समीकरण बिठाने की दौड़भाग चर्चा में है।

    ठाकुर साब के विरोध में सोशल मीडिया पर पोस्ट
    पहले भाजपा के और अब कांग्रेस के ठाकुर साब यानि बदनावर विधायक भंवरसिंह शेखावत को लेकर स्थानीय लोग ही सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हंै। दो-तीन साल पहले नगर निगम ने पाटनीपुरा की सब्जी मंडी को हटाकर बस डिपो के पास गली में शिफ्ट कर दिया था, जहां ठाकुर साब का घर भी है। लोगों को मालवा मिल की ओर से आने में सहूलियत होती है, लेकिन फोटो के साथ आरोप लगाया जा रहा है कि ठाकुर साब ने अपने घर के सामने से मंडी में जाने वाला रास्ता रोक दिया है, जिससे लोगों को चौराहे से घूमकर जाना पड़ रहा है।

    भाजपा कार्यालय पर अभी मत जाना
    ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि वे नेता कह रहे हैं जो सदस्यता अभियान में लगे हैं। वे कह रहे हैं कि अभी तो भूलकर भी भाजपा कार्यालय मत जाना, वरना पूछताछ हो जाएगी कि तुमने कितने सदस्य बनाए, मोबाइल खोलकर दिखाओ। कुछ यूं ही चल रहा है भाजपा की राजनीति में। सदस्यता अभियान का कल आखिरी दिन है। पिछले डेढ़ महीने से चल रहे अभियान में कई नेताओं और पदाधिकारियों ने कोताही में कोई कसर नही छोड़ी और अब जब वे सदस्य बनाने के लिए लोगों के बीच जा रहे हैं तो हर कोई उन्हें सदस्य बना हुआ मिल रहा है। ताई के एक नजदीकी नेता ने तो बढ़ा-चढ़ाकर सदस्य बनाने की बात की, लेकिन उनके मोबाइल में जब सदस्य संख्या देखी तो वे खुद ही शर्मिंदा हो गए।

    कांग्रेस से भाजपा में आए कुछ बड़े नेता इन दिनों भाजपा के आयोजनोंं में दिखाई नहीं दे रहे हैं। सदस्यता अभियान के दौरान उन्होंने पार्टी से दूरी बनाए रखी। संजय शुक्ला को छोड़ दिया जाए तो अभी तक कोई बड़े नेता ने सदस्यता अभियान के आंकड़े नहीं बताए हैं। इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं। -संजीव मालवीय

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