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    ‘अगर हमारे हाथ में होता…’, इस्राइल-हमास जंग के बीच बच्चों को दुनिया में लाने वाली माताओं का दर्द

  • October 07, 2024

    गाजा। इस्राइल-हमास युद्ध (Israel-Hamas War) की वजह से फलस्तीन का गाजा शहर (Gaza City) मलबों के ढेर में तब्दील हो गया है। हमास हमले की बरसी पर गाजा में शिविर में रह रहीं माताओं (Mothers) ने अपना दुख (Pain) साझा किया। एक मां ने अपनी एक महीने की बेटी को बाहों में उठाकर खुद को एक अपराधी माना। महिला ने नन्हीं सी जान को युद्ध और पीड़ा से भरी दुनिया में लाने के लिए महसूस किए गए अपने अपराध के बारे में बताया।

    मध्य गाजा पट्टी के डेर अल-बलाह में स्थित एक शिविर में रह रहीं राणा सलाह ने कहा, ‘अगर गर्भवती होना मेरे हाथ में होता तो मैं युद्ध के दौरान नहीं होती। न ही बच्ची मिलाना को जन्म देती। आज जीवन पहले से काफी अलग है। ऐसे हम कभी नहीं रहे। मैं पहले भी दो बार मां बन चुकी हूं। तब जीवन मेरे और बच्चे के लिए अच्छा, आसान और अलग था। अब मुझे लगता है कि मैंने खुद और बच्चे दोनों के लिए गलत किया है क्योंकि हम इससे बेहतर जीने के लायक हैं।’


    राणा की हालत बिगड़ने के कारण उसे शिविर के अस्पताल में ही भर्ती कराया गया था। यहां सीजेरियन से बच्ची का जन्म हुआ। जंग के कारण परिवार अपने घर नहीं लौट पा रहा है। इसके बजाय वह एक शिविर से दूसरे शिविर में रहने को मजबूर हैं। बता दें, यूनीसेफ के आंकड़ों की माने तो मिलाना पिछले साल गाजा में पैदा हुए करीब 20,000 बच्चों में से एक है।

    मनार अबू जराद संयुक्त राष्ट्र फलस्तीनी शरणार्थी एजेंसी द्वारा संचालित एक स्कूल आश्रय में रह रही हैं। उनकी सबसे छोटी बेटी सहर का जन्म चार सितंबर को हुआ था, वह भी सीजेरियन सेक्शन से ही। उनके पति की जंग में जान चली गई थी। जब उन्हें पता चला था कि उन्हें बेटी को इस दुनिया में लाने के लिए सीजेरियन करवाना पड़ेगा तो वह अपने अन्य बच्चों की देखभाल को लेकर परेशान थीं।

    जराद ने कहा, ‘मेरी पहले से ही तीन बेटिया हैं। यह सोचकर मैंने चिल्लाना शुरू किया। मोटे पेट को लेकर सबकुछ कैसे संभालू? मैं अपनी बेटियों को कैसे नहलाऊं? मैं उनकी मदद कैसे कर पाऊंगी। मेरे पति इस जंग में चल बसे।’

    उन्होंने कहा, ‘मैं इस स्थिति में पहुंच गई हूं कि मैं इस बच्ची की जिम्मेदारी नहीं उठा सकती। भगवान का शुक्र है कि मुझे यहां मदद मिल गई।’ इतना ही नहीं उन्होंने परिवार से उधार लिया, जितना ले सकती थीं। बच्ची के लिए एक दिन में एक डायपर इस्तेमाल करती हैं क्योंकि वह इससे ज्यादा डायपर नहीं खरीद सकतीं।

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