जयपुर। राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा (Deputy CM Premchand Bairwa) पर राजनीतिक गरमाई हुई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) से लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने आरोप लगाए है। सोशल मीडिया पर प्रेमचंद बैरवा को डिप्टी सीएम के पद से हटाने के फर्जी खबरें भी वायरल हो रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और किरोड़ी लाल मीणा खुलकर प्रेमचंद बैरवा के समर्थन में उतर आए है।
आरजेडी ने एक्स पर लिखा- बीजेपी का उपमुख्यमंत्री दिल्ली के पांच सितारा होटल में एक रशियन के साथ पकड़ा गया। मामला रफा-दफा करने का प्रयास जारी।आरजेडी और सुप्रिया श्रीनेत की इन दोनों पोस्ट में स्पष्ट तौर पर प्रेमचंद बैरवा का नाम नहीं था। इस पोस्ट को लेकर जारी चर्चाओं के बीच भाजपा की ओर से डिप्टी सीएम बैरवा के पक्ष में एक के बाद एक बयान सामने आए हैं।
भाजपा प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दलित मुख्यमंत्री को निशाने पर लिए जाने की बात कही, तो फिर कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने भी पोस्ट करते हुए लिखा-‘निरंतर जनसेवा कर रहे उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के विषय में सफेद झूठ बोलकर अफवाह फैला रहे है। ऐसा करने वाले समाज और प्रदेश की राजनीति को दूषित कर रहे हैं। मैं ऐसी निंदित और कुत्सित राजनीति करने वालों की भर्त्सना करता हूं। ये भूताः विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया’। यहां तक कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौर ने भी डिप्टी सीएम का बचाव किया और कहा कि उनपर आरोप हल्की राजनीति है। उन्होंने कहा कि किसी का चरित्र हनन करना ठीक नहीं है।
जयपुर RTO का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे एआरटीओ प्रकाश टहलियानी ने बताया कि तेज रफ्तार में वाहन चलाने और सीट बेल्ट नहीं लगाने को लेकर डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के बेटे चिन्मय बैरवा और कार्तिकेय भारद्वाज का 7-7 हजार का चालान किया गया। उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा एक और विवाद का हिस्सा बने. उनके खिलाफ महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-11 में सरकारी लेटर पैड पर थाने में सीएलजी सदस्य नियुक्त करने की सूची जारी करने के मामले में परिवाद दायर किया गया था।
हालांकि, बाद में बैरवा के खिलाफ दायर परिवाद को वापस लेने के आधार पर उसे खारिज कर दिया गया। सुनवाई के दौरान अदालत ने नए आपराधिक कानून के तहत परिवादी को मामले में परिवाद पेश करने की शक्ति नहीं होने की जानकारी दी। अदालत ने कहा कि नए आपराधिक कानून के तहत सम्बंधित लोक सेवक के खिलाफ उसका वरिष्ठ अधिकारी परिवाद दायर कर सकता है।
ऐसे में परिवादी ने अपना परिवाद वापस लेने की अनुमति मांगी थी। जिस पर परिवाद को वापस लेने के आधार पर उसे खारिज कर दिया गया।
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