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    महात्मा गांधी केवल व्यक्तित्व नहीं स्वयं में एक युग हैं – आप सांसद राघव चड्ढा

  • October 02, 2024


    नई दिल्ली । आप सांसद राघव चड्ढा (AAP MP Raghav Chaddha) ने कहा कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) केवल व्यक्तित्व नहीं (Is not just a Personality) स्वयं में एक युग हैं (But an Era in itself) । आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।


    राघव चड्ढा ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि यह सोचकर सीना चौड़ा हो जाता है कि महात्मा गांधी भारत में पैदा हुए थे। हम गांधी के वंशज हैं यह हमारा सौभाग्य है। कितने खुशनसीब थे वह लोग जिन्होंने गांधी को देखा होगा। वह जितने मन से साहसी थे उतने ही मुलायम भी थे। अपनों के लिए लड़ते हुए भी दुश्मनों के प्रति नफरत ना रखने वाले गांधी का दिल इतना बड़ा था कि उन्होंने उसे भी माफ कर दिया जिसने उनको यातनाएं दीं, मारने की कोशिश की।

    उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की सत्य और हिंसा की ताकत ने दुनिया की सारी ताकतों को बौना कर दिया। गांधी के बारे में अल्बर्ट आइंस्टीन कहा करते थे कि आने वाली नस्लें इस बात पर यकीन नहीं कर पाएंगी कि हाड़ मांस का कोई पुतला ऐसा भी था जिसके करिश्मे के सामने दुनिया की सारी शक्तियां नतमस्तक हो गई। दक्षिण अफ़्रीका में पिछड़ों, शोषितों और अन्य वर्गों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने वाले गांधी अपने देश के लोगों की गरीबी से अधीर होकर आधी धोती में पूरा जीवन गुजारने वाले थे। उन्होंने शक्तिशाली ब्रिटिश क्राउन की आंख में आंख डालकर उसकी तानाशाही का विरोध किया। गांधी केवल व्यक्तित्व नहीं थे, वह स्वयं में एक युग हैं। ऐसा युग जिसमें न्याय की लड़ाई है, ऐसा युग जिसमें अधिकारों के लिए संघर्ष है, ऐसा युग जिसमें इंसानियत और दूसरे का दुख महसूस करने का साहस है।

    उन्होंने कहा कि ऐसा युग जिसमें राम सिर्फ नाम नहीं, मर्यादा और कर्तव्य हैं। शायद यही कारण है कि गांधी के जाने के 76 साल बाद भी अमेरिका से लेकर यूरोप तक, अफ्रीका से लेकर ऑस्ट्रेलिया की गलियों तक आपको गांधी दिख जाएंगे। उनका कद कितना बड़ा है, उनका ओहदा कितना ऊंचा है। यह उनकी मूर्ति के सामने झुके हुए लोगों से पता चलता है। आज जब कोई हिंदुस्तानी भारत से बाहर किसी दूसरे देश में जाता है, तो वहां उसकी इज्जत इसलिए भी होती है, क्योंकि वह गांधी के देश से आया है। रंगभेद से लड़ने वाले नेल्सन मंडेला जेल में लगभग तीन दशक गुजारने के बाद जब जेल से बाहर निकले तो मुस्कुराए, जिस पर पत्रकारों ने उनसे पूछा इतनी मुश्किल के बावजूद भी आप मुस्कुरा रहे हैं, तो मंडेला ने कहा, ‘मैंने गांधी को पढ़ा है।’ यह है गांधी की ताकत। सारी दुनिया में अहिंसात्मक आंदोलनों के प्रेरणा स्रोत हैं गांधी।

    राघव चड्ढा ने आगे कहा कि देश की आजादी के लिए गोली बंदूक, तोप और गोलों के खतरनाक अंजाम से बेफिक्र होकर गांधी निहत्थे लड़ते रहे। मार्टिन लूथर किंग ने गांधी जी के सिद्धांतों पर चलकर अपने देश में अफ्रीकी अमेरिकी को समानता का अधिकार दिलाया। जिस चार्ली चैपलिन के पीछे दुनिया दीवानी थी, वह चार्ली चैपलिन गांधी से मिलने के लिए बेताब रहते थे। आज दुनिया के सैकड़ों देशों में अनगिनत शहरों में आपको पतले दुबले लाठी टेके गांधी की प्रतिमा दिख जाएगी। जहां दुनिया की नामचीन विभूतियां झुक-झुक कर फूल अर्पित करती, फूल चढ़ाती नजर आएंगी। आज जब हम गांधी को याद करते हैं तो अपने इतिहास के गौरव को जिंदा करते हैं।
    उन्होंने आगे कहा कि जब बापू का नाम लेते हैं तो हिंदुस्तान की असली ताकत का एहसास करते हैं। गांधी भले इस दुनिया में नहीं, मगर दुनिया के दिलों में गांधी हैं। गांधी मोहब्बत की परंपरा बनकर हिंदुस्तान के सीने में धड़कते हैं। आज भी सत्य की पगडंडियों पर चलते हुए गांधी मिल जाएंगे आप बस उनको दिल से याद तो कीजिए।

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